हमारा लक्ष्य ग्रास रूट के टैलेंट को अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक लेकर जाना: संदीप सिंह
चंडीगढ़ (सच कहूँ/अनिल कक्कड़)। प्रदेश सरकार ने हरियाणा को खेलों का हब बनाने की ओर तेजी से कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं और प्रदेश में जारी 33 खेल परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए निर्माण कार्यों में ओर तेजी के आदेश दिए हैं। इस बाबत विधानसभा में एक प्रश्न के जवाब में खेल मंत्री संदीप सिंह विस्तार पूर्वक जानकारी दी। बता दें कि सदन में कांग्रेसी विधायक वरुण चौधरी के सवाल किया कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में खेलों के लिए अवसरंचना विकसित करने के लिए सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं अथवा उठाए जा रहे हैं। इसके जवाब में खेल मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में खेल अवसंरचना विकसित करने की तरफ मेहनत से कार्यकर रहा है।
305 करोड़ से जारी 33 परियोजनाएं
खेल मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि वर्तमान में 305.62 करोड़ रुपए की 33 परियोजनाएं प्रगति पर हैं, इसके अलावा राज्य के ग्रामीण खेलों में 160 राजीव गांधी ग्रामीण खेल परिसर तथा 245 मिनी/ग्रामीण स्टेडियम उपलब्ध हैं।
सबसे ज्यादा 152 करोड़ की अंबाला में जारी परियोजनाएं, सरसा-फतेहाबाद में एक भी नहीं
खेलमंत्री संदीप सिंह द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार अंबाला में 152 करोड़ से ज्यादा की तीन परियोजनाएं प्रगति में हैं। जिनमें से अंबाला में 115.16 करोड़ से वॉर हीरोज मैमोरियल स्टेडियम में पॉलीग्रास का फुटबॉल एस्ट्रोटर्फ के अलावा सिंथेटिक एथलैटिक ट्रैक और आॅल वैदर स्वीमिंग पूल बनाया जा रहा है। वहीं गांव बारागढ़ में स्टेडियम बनाया जा रहा है। इन 33 परियोजनाओं में से एक भी परियोजना सरसा और फतेहाबाद में नहीं है। जबकि करनाल में चार, कैथल में तीन, पानीपत में 4, सोनीपत में 3 परियोजनाएं जारी हैं।
सरकार का सभी खेलों पर फोकस
खेल मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार किसी भी खेल की उपेक्षा नहीं करेगी और हर खेल में ग्रास रूट से खिलाड़ी तैयार करने की पूरी प्लानिंग है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों को बेहतर सुविधाएं मिलें, बेहतरीन कोच मिलें इस पर पूरा फोकस है। इसके अलावा सरकार कार्पोरेट्स के भी टच में है, जो कि खिलाड़ियों को स्पांसर करें तथा उनका हौंसला बढ़ाएं।
खिलाड़ी को खेल विभाग में नौकरी मिले तो ज्यादा अच्छा
एक सवाल के जवाब में खेल मंत्री ने कहा कि बेशक विपक्ष मौजूदा ओलंपियनों को डीएसपी की नौकरी की मांग कर रहा है लेकिन उनका बतौर खिलाड़ी यह मानना है कि डीएसपी की जॉब से बेहतर खिलाड़ी को खेल विभाग की ही जॉब मिले। पुलिस विभाग की नौकरी में खिलाड़ी को एडजस्ट होना मुश्किल हो जाता है जबकि खिलाड़ी खेल विभाग में अच्छा कर सकते हैं और अपने जैसे और अच्छे खिलाड़ी तैयार कर सकते हैं।
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