पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान

Pakistan

अफगानिस्तान में मची उथल-पुथल के बीच पाकिस्तान ने तालिबानियों का समर्थन कर आग में घी डालने का काम किया है। इसी तरह पिछले कई दशकों से पाकिस्तान जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को आजादी की जंग करार देता रहा है। पाकिस्तान के शासक यह भूल जाते हैं उनके देश में भी आतंकवाद और कट्टरवाद भी शर्मनाक है। पिछले दिनों पाकिस्तान में एक मंदिर में तोड़फोड़ की गई, फिर लाहौर के शाही किले की गैलरी में महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा तोड़ी गई। ऐसी घटनाओं के बाद इस्लामाबाद के पास केवल इतना ही कहने को होता है कि मंदिर या प्रतिमा की मरम्मत करवा दी जाएगी। कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ किसी भी प्रकार की सख्त कार्रवाई कहीं नजर नहीं आती। अलपसंख्यकों की लड़कियों को अगवा कर उनका धर्म परिवर्तन और जबरदस्ती विवाह करने के मामले आम हो गए हैं, ऐसे मामलों को लेकर पाक सरकार चुप रहती है।

अफगानिस्तान में 1990 के दशक में तालिबानों की वापिसी के लिए भी पाकिस्तान जिम्मेदार था और अमेरिका की कार्रवाई के बाद खदेड़े गए तालिबानों को पाकिस्तान भी पनाह देता रहा है। अलकायदा सरगना ओबामा बिन लादेन भी पाकिस्तान में छिपा था, जिसे अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर मारा। अफगानिस्तान में तालिबानी हिंसा का पाकिस्तान ने पूरा फायदा उठाया, जिस प्रकार की सामाजिक-धार्मिक पाबंदियां तालिबान लगाते रहे हैं उसकी झलक पाकिस्तान में भी देखने को मिलती है। पाकिस्तान, यूएई और सऊदी सरब तीनों वही देश थे, जिन्होंने 1996 में देशों में अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को मान्यता देने का समर्थन किया था और पाक तालिबान से कूटनीतिक रिश्ते तोड़ने वाला आखिरी देश था। पाकिस्तान में लड़कियों के समर्थन में आवाज बुलंद करने वाली यूसफ मलाला पर गोलीबारी होना पाकिस्तान और अफगानिस्तान के हालातों में समानता को दर्शाता है। पाकिस्तान तालिबानों की वापिसी से खुश नजर आ रहा है।

इस उथल-पुथल से अफगानिस्तान का भविष्य किस तरह का होगा, इसका अनुमान लगाना कठिन नहीं। पाकिस्तान को यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि अफगानिस्तान में गृह युद्ध की स्थिति पैदा हुई तो उसे एक नए शरणार्थी संकट का भी सामना करना पड़ सकता है। जून के आखिर में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि उनके देश में इस समय तीस लाख अफगान शरणार्थी हैं और वो अब ज्यादा शरणार्थियों को स्वीकार करने की स्थिति में नहीं है।इस परिवर्तन का प्रभाव पाकिस्तान में अवश्य दिखेगा। यहां के कट्टरपंथियों के मंसूबे उजागर होंगे। पाकिस्तान की दोगली नीति ओर मजबूत होती दिखाई दे रही है। इस घटना का असर भारत पर भी हो सकता है। भारत के लिए चिंताजनक बात यह है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान जैसे दो देशों में काफी हद तक एक ही जैसे हालात हैं। दोनों देशों में कट्टरपंथियों और आतंकी ताकतों की मजबूती को रोकना भारत के लिए एक बड़ा सवाल है।

 

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