भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव के लिए तैयार की रणनीति
लखनऊ (एजेंसी)। भाजपा की सहयोगी जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश और मणिपुर विधानसभा चुनावों में भाजपा के साथ गठबंधन करके लड़ना है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर गठबंधन नहीं हो पाता तो जेडीयू इन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ेगी। मीडिया से बातचीत करते हुए त्यागी ने कहा कि जेडीयू यूपी और मणिपुर चुनाव लड़ेगी। गौरतलब हैं कि जेडीयू ने वर्ष 2017 में हुए यूपी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। अगले साल यूपी और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। केसी त्यागी का बयान ऐसे समय आया है जब पार्टी के नवनियुक्त राष्टÑीय अध्यक्ष और पार्टी सांसद राजीव रंजन सिंह ने एक दिन पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी बिना गठबंधन पर निर्भर रहे अकेले चुनाव लड़ने में सक्षम है।
यूपी विधानभा चुनाव में भाजपा कर रही है तैयारी
यूपी में 2022 का सियासी संग्राम जीतने के लिए बीजेपी ने इस बार एक खास व्यूह संरचना की है। पार्टी का फोकस 60 से ज्यादा उन सीटों पर है जहां पार्टी आज तक कभी भी विधानसभा का चुनाव ही नहीं जीती है। इन सीटों पर पार्टी ने जीत की जिम्मेदारी अपने एमएलसी, राज्यसभा सांसदों, बोर्ड और निगम के अध्यक्षों और पार्टी के पदाधिकारियों को सौंपी है। तो चलिए आपको बताते हैं कि इन सीटों पर हारी बाजी को जीतने के लिए बीजेपी ने कौन सा प्लान तैयार किया है।
हारी हुई सीटों पर है फोकस
साल 2017 में उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने पहली बार ऐतिहासिक जीत हासिल करते हुए 312 सीटों पर विजय हासिल की थी। उस वक्त अपने सहयोगियों के साथ मिलकर बीजेपी 325 सीटों पर काबिज हुई, लेकिन इस आंधी में भी लगभग 80 सीटें ऐसी थी जिनपर ना तो बीजेपी और ना ही उसके सहयोगी जीत पाए, यहां विपक्षी पार्टियों को जीत मिली थी। अब जब विधानसभा चुनाव बेहद करीब है तो पार्टी इस रणनीति में जुटी है कि कैसे इस बार भी 300 सीटों पर कमल खिलाया जाए, इनमें खास फोकस उस वक्त हारी हुई लगभग 80 सीटों पर है, जहां 2017 में पार्टी को जीत हासिल नहीं हुई थी।
बन रही है जीत की रणनीति
2017 में 78 ऐसी सीटें ऐसी थी जहां बीजेपी और उसके सहयोगी नहीं जीत पाए थे, फिर उसके बाद ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा गठबंधन से अलग हो गई तो उसकी 4 सीटों को भी पार्टी ने हारी हुई सीटों में शामिल कर लिया। जिसके बाद ऐसी सीटों की संख्या 82 हो गई। वहीं, उपचुनाव में 2 सीट गंवाने के बाद इन सीटों की संख्या बढ़कर हो गई 84. अब इन 84 सीटों पर जीत की अलग रणनीति तैयार की गई है। इन 84 सीटों में भी 60 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां बीजेपी का कमल आज तक नहीं खिला है। पार्टी का पूरा फोकस है कि कैसे 2022 में इन सीटों पर भी कमल खिलाया जाए। इसके लिए पार्टी ने हर सीट पर अलग-अलग प्रभारी भी नियुक्त किए हैं, इन सीटों को जिताने की जिम्मेदारी पार्टी ने अपने विधान परिषद के सदस्यों, राज्यसभा सांसदों, निगम, बोर्ड और आयोग के अध्यक्षों को सौंपी है, जो लगातार इन सीटों पर जीत की रणनीति बनाने में जुटे हैं।
सौंपी गई जिम्मेदारी
जिन लोगों को ऐसी हारी सीटों पर प्रभारी बनाया गया है अगर उन पर नजर डालें तो राज्यसभा सदस्य नीरज शेखर को आजमगढ़ की निजामाबाद सीट, राज्यसभा सदस्य बृजलाल को कानपुर की सीसामऊ सीट, विधान परिषद सदस्य सरोजनी अग्रवाल को रामपुर की चमरव्वा सीट, सभा सदस्य कांता कर्दम को मुरादाबाद देहात, विजयपाल तोमर को बेहट सीट, दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री वीरेंद्र तिवारी को अकबरपुर सीट, उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष जसवंत सिंह सैनी को कैराना सीट, संजीव गोयल को सहारनपुर सदर सीट, सुभाष शर्मा को सहारनपुर सीट, सूर्य प्रकाश पाल को नूरपुर सीट, एमएलसी धर्मवीर प्रजापति को उन्नाव की पुरवा, कैप्टन विकास गुप्ता को धौलाना सीट और सभा सदस्य सुरेश नागर को बिजनौर की नगीना सीट का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
ये सभी प्रभारी अपनी रिपोर्ट 3 सदस्य कमेटी को समय-समय पर उपलब्ध कराते हैं। इस कमेटी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और महामंत्री संगठन सुनील बंसल शामिल हैं।
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