कोरोना काल में हुआ काफी काम- पीएम मोदी
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि नई शिक्षा नीति भविष्य को ध्यान रखते हुए बनाया गया है और इससे देश का भाग्य बदलेगा। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के एक साल पूरा होने पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक साल पूरा होने पर सभी देशवासियों और सभी विद्यार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बीते एक वर्ष में देश के आप सभी महानुभावों, शिक्षको, प्रधानाचार्यों, नीतिकारों ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में बहुत मेहनत की है। उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नयी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है।
आने वाले समय में परीक्षा के डर से मुक्ति मिलेगी
नई व्यवस्था में एक ही क्लास और एक ही विषय में जकड़े रहने की बाध्यता को खत्म कर दिया गया है। युवा अपनी रुचि, सुविधा से कभी भी एक स्ट्रीम को चुन सकता है और छोड़ सकता है। कोर्स सेलेक्ट करते समय ये डर नहीं रहेगा कि डिसीजन गलत हो गया तो क्या होगा। आने वाले समय में परीक्षा के डर से भी मुक्ति मिलेगी। ये डर निकलेगा तो नए इनोवेशन का दौर शुरू होगा और संभावनाएं असीम होंगी।
उन्होंने कहा कि देश में 51 बाघ रिजर्व हैं जो 18 राज्यों में फैले हैं। अंतिम बाघ गणना जो वर्ष 2018 में हुई थी उस में बाघों की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। भारत ने बाघ संरक्षण के बारे में सेंट पीट्सबर्ग घोषणा मैं निर्धारित समय से 4 वर्ष पहले बाघों की आबादी दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल किया है। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा की सरकार ने बाघों के संरक्षण की रणनीति स्थानीय समुदाय को अत्यधिक महत्व दिया है। हम वन्यजीवों और वनस्पतियों जिनके साथ हम इस ग्रह पर रह रहे हैं के साथ सामंजस्य बनाकर रहने के अपने सदियों पुराने मूल्यों से भी प्रेरणा ले रहे हैं।
पुराने बंधनों, पिंजरों से मिली मुक्ति
उन्होंने कहा, ‘भविष्य में हम कितना आगे जाएंगे, कितनी ऊंचाई प्राप्त करेंगे, ये इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपने युवाओं को वर्तमान में यानि आज कैसी शिक्षा दे रहे है, कैसी दिशा दे रहे हैं। मैं मानता हूं देश की नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति राष्ट्र निर्माण के महायज्ञ में बड़े कारकों में से एक है। उन्होंने कहा कि नयी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ युवाओं को ये विश्वास दिलाती है कि देश अब पूरी तरह से उनके साथ है, उनके हौसलों के साथ है। जिस आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रोग्राम को अभी लॉंच किया गया है, वो भी हमारे युवाओं भविष्य ओरिएंटेड बनाएगा। 21वीं सदी का आज का युवा अपनी व्यवस्थाएं, अपनी दुनिया खुद अपने हिसाब से बनाना चाहता है। इसलिए, उसे पुराने बंधनों, पिंजरों से मुक्ति चाहिए।
देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा
मोदी ने कहा कि हमने-आपने दशकों से ये माहौल देखा है जब समझा जाता था कि अच्छी पढ़ाई करने के लिए विदेश ही जाना होगा। लेकिन अच्छी पढ़ाई के लिए विदेशों से स्टूडेंट्स भारत आयें, बेस्ट संस्थान भारत आयें, ये अब हम देखने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज बन रही संभावनाओं को साकार करने के लिए हमारे युवाओं को दुनिया से एक कदम आगे होना पड़ेगा, एक कदम आगे का सोचना होगा. हेल्थ हो, डिफेंस हो, इनफ्रास्ट्रक्चर हो, टेक्नालॉजी हो, देश को हर दिशा में समर्थ और आत्मनिर्भर होना होगा।
क्या है नई शिक्षा नीति
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली पढाई से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बदलाव किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का पूर्ण रूप से विकास और उन्हें विश्व स्तर पर सशक्त बनाना है। नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किए गए हैं। पहली बार मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम लागू किया गया है। इससे उन छात्रों को बहुत फायदा होगा जिनकी पढ़ाई बीच में किसी वजह से छूट जाती है।
अब 11 भाषाओं में होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई
उन्होंने कहा कि हमने स्थानीय भाषाओं को भी प्रमुखता देने का फैसला लिया है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब तमिल, मराठा, बांग्ला समेत 5 भाषााओं में शुरू होने वाली है। इसके अलावा कुल 11 भाषाओं में इंजीनियरिंग के कोर्स का अनुवाद शुरू हो चुका है। इसका सबसे ज्यादा लाभ देश के गरीब और मिडिल क्लास के स्टूडेंट्स को होगा। दलितों और आदिवासियों को होगा। इन्हीं परिवारों से आने वाले लोगों को लैंग्वेज डिवाइड का सामना करना पड़ता था। मातृभाषा में पढ़ाई से गरीबों का बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। इसके अलावा प्रारंभिक शिक्षा में भी मातृभाषा को प्रमोट करने का काम शुरू हो गया है।
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