धांधलियों की शिकायत पर विभाग ने डीएसओ से छीनी ग्रेडेशन पावर

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खेल विभाग में ग्रेडेशन सर्टिफिकेट बनाने में होती थी धांधली

  • सरकार ने इस काम के लिए नियुक्त किए उप-निदेशक

  • जिला खेल विभागों से छीना ग्रेडेशन सर्टिफिकेट का अधिकार

सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। खिलाड़ियों को सुविधाओं का लाभ देने के लिए बनाए जाने वाले ग्रेडेशन सर्टिफिकेट में खूब धांधलियां हुई हैं। जिला स्तर पर खेल अधिकारियों ने अपनी मर्जी से खिलाड़ियों को ग्रेड देकर नियमों के विरुद्ध काम किया। ऐसी शिकायतों के बाद अब प्रदेश के खेल विभाग ने यह काम उप-निदेशकों को सौंप दिया है।

खेल विभाग में ‘सी’ व ‘डी’ श्रेणी के खिलाड़ियों के ग्रेडेशन सर्टिफिकेट की जिम्मेदारी जिला खेल अधिकारियों को दी गई थी। चूंकि खेल अधिकारी अपने अधीन खेलने वाले खिलाड़ियों को अच्छी तरह से जानते हैं। उनकी खेल प्रतिभा का उन्हें सही आंकलन करके उन्हें सुविधाएं दी जा सकें। इस जिम्मेदारी के साथ ही अधिकतर खेल अधिकारियों ने इस काम में सिफारिश वाले खिलाड़ियों ही तवज्जो दी। यानी अनुभवी और काबिले खिलाड़ियों को पीछे धकेल दिया गया। इस तरह की शिकायतें प्रदेश के खेल विभाग तक पहुंची। विभाग ने इसे गंभीरता से लिया। सर्टिफिकेट बनाने की जो पावर थी, वह जिला खेल अधिकारियों से छीन ली गई। उनके स्थान पर अब उप-निदेशकों की नियुक्ति की गई है, ताकि काम में पारदर्शिता हो और काबिल खिलाड़ियों को खेल योजनाओं का लाभ मिल सके। मंडल स्तर पर उपनिदेशक लगाए गए हैं, गुरुग्राम मंडल में गुरुग्राम के अलावा नूंह, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ जिले आते हैं। इन जिलों का जिम्मा उन-निदेशक राममेहर सिंह को दिया गया है।

जिला खेल अधिकारी जेजी बैनर्जी का कहना है कि पहले मंडल स्तर पर उप-निदेशक होते थे। बाद में उप-निदेशक नहीं होने की वजह से जिला स्तर पर यह सर्टिफिकेट बनाने की पावर दी गई थी। अब फिर से प्रदेश में मंडल स्तर पर उप-निदेशक लगाए गए हैं। गुरुग्राम में उप-निदेशक लगाए गए राममेहर सिंह ने कहा कि खेल विभाग ने अब मंडल स्तर पर काम शुरू कर दिया है। इसे लेकर आदेश जारी हो चुके हैं।

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