कोरोना के चलते मुफलिसी भरी ज़िंदगी जीने को मजबूर जावेद हैदर
नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने कई लोगों को ऐसे दौर में पहुंचा दिया, जिसके बारे में उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा होगा। जो कभी लाखों में खेलते थे, वो आज अपने बच्चों की फीस तक जमा करवा पाने में असमर्थ हो गए हैं। ऐसे ही लोगों में एक नाम है एक्टर जावेद हैदर का। वे एक कैरेक्टर आर्टिस्ट हैं और बचपन से लेकर अभी तक कई फिल्मों में काम किया। लेकिन आज गरीबी में दिन काटने को मजबूर हैं।
1973 में यादों की बारात से की थी फिल्मी करियर की शुरूआत
बता दें कि हैदर ने अपने करियर की शुरूआत 1973 में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट ‘यादों की बारात’ से की थी। बचपन से अभिनय कर रहे जावेद अब तक अनेक फिल्मों में काम कर चुके हैं। आजकल के दिन उन पर भारी पड़ रहे हैं। एक तो काम नहीं मिल रहा, दूसरा परिवार को गुजारा तक मुश्किल हो गया है। हालात इस कदर बिगड़ गए हैं, वे अपनी बेटी की फीस तक नहीं भर पा रह हैं। एक न्यूज पोर्टल से बातचीत में जावेद ने बताया कि मैं चाहता हूँ कि आठवीं में पढ़ रही मेरी बेटी अच्छी तालीम हासिल करे। लेकिन अब मुश्किल लगता है, क्योंकि जब तक काम मिल रहा था, तब तक तो सब ठीक ठाक था, लेकिन कोरोना ने ऐसी मार मारी है कि अब तक बेटी की फीस भी नहीं भर पा रहा हूँ। वे बताते हैं कि स्कूल वालों ने पहले तीन महीने की फीस तो माफ कर दी थी। फिर हमें 2500 रुपये महीना भरने होते थे, लेकिन अब हालात और भी ज्यादा खराब हैं, इतने पैसे का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है। स्कूल वालों ने भी रियायत से हाथ खड़े कर दिए हैं।
जावेद ने आगे कहते हैं कि मुझे समझ नहीं आता स्कूल हमारे जैसे माता-पिता पर रहम क्यों नहीं करते। लॉकडाउन की वजह से पिछले दो साल से बेटी की ऑनलाइन क्लासेस चल रही है। मैं समय पर फीस भी जमा करता रहा। पिछले कुछ महीनों से फीस जमा नहीं कर पाया। ऐसे में मेरी बेटी को ऑनलाइन क्लास से निकाल दिया। कहीं से पैसे जमाकर जब फीस भरी, तब जाकर उसे बिठाया था। वे कहते हैं कि मुझसे कई बार लोगों ने कहा कि मैं उनसे मदद मांग लूं। थोड़ा बहुत नाम कमाया है। ऐसे में बोलने में भी शर्म आती है, कहीं जुबान खराब हो जाए। पैसा ऐसी चीज होती है कि कभी आपने मांगा और सामने वाले ने आपको इग्नोर करना शुरू कर दिया, तो मुसीबत हो जाती है। कई कई बार आप काम के लिए कॉल कर रहे होते हैं, तो भी वो आपको इग्नोर करता चलता है। डर यही रहता है कि जो काम मिलने वाला भी होता है, वो हाथ से निकल न जाए। फिलहाल बीवी के गहने बेचकर जो पैसे आए हैं, उन्हीं से काम चल रहा है।
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