किसानों का आरोप, प्राईवेट दुकानों पर प्रयोग न होने वाली दवाओं को थोपा जा रहा यूरिया के साथ (shortage of urea)
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इफको व कृभको का लगभग 4 हजार टन यूरिया जिले में आया कम
सच कहूँ, देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र। धर्मनगरी में किसानों को यूरिया की किल्लत सामना करना पड रहा है। समस्या इतनी है कि धान की फसल में यूरिया डालने का समय निकलता जा रहा है लेकिन यूरिया आसानी से उपलब्ध नही हो रहा है। इसको लेकर किसानों में रोष पनप रहा है। बता दें कि ज्यादा किसान यूरिया खाद गांव में बनाई गई को-ओपरेटिव सोसायटी से खरीदते हैं लेकिन इन सोसायटियों में अबकि बार खाद बहुत कम मात्रा में पहुंचा है जिस कारण किसानों को धान की फसल के लिए भरपूर मात्रा में यूरिया खाद उपलब्ध नहीं हो रहा है।
- ऐसे में किसानों में रोष है कि आखिर इन सोसायटियों में खाद क्यों नही दिया जा रहा है।
- इस वक्त धान की फसल में दूसरा व तीसरा खाद डालने का समय चल रहा है।
को. ओपरेटिव सोसायटी में आता है इफको व कृभको का खाद
बता दें कि किसानों तक आसानी से खाद पहुंचाने के लिए इफको व कृभको द्वारा लगभग सभी गांवों में बनाई गई सोसायटी में खाद भेजा जाता है, लेकिन अबकि बार खाद कम मात्रा में भेजा गया है जिससे किसानों की मांग के हिसाब से उन्हें खाद उपलब्ध नही हो पा रहा है।
इफको व कृभको का यूरिया आया लगभग 4 हजार टन कम
जानकारी के अनुसार इफको व कृभको द्वारा जो यूरिया कुरुक्षेत्र जिले में भेजा गया है वह बीते साल के मुकाबले लगभग 4 हजार टन तक कम है। इफको के जिला अधिकारी संदीप श्योराण ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष जिले में लगभग 13 हजार टन यूरिया ही पहुंचा है। जबकि बीते वर्ष में लगभग 15 हजार टन यूरिया कुरुक्षेत्र जिले में पहुंचा था। वहीं कृभको के जिला अधिकारी राजकिशोर राठोर ने कहा कि कुरुक्षेत्र जिले में अबकि बार लगभग 5200 टन यूरिया आया है
- बीते वर्ष में लगभग साढे 7 हजार टन यूरिया कुरुक्षेत्र में पहुंचा था।
- अबकि बार कोई भी पूरा रैक नही आया, आधा रैक ही आया है।
- आखरी बार 29 जून को यूरिया आया था, अब अगस्त माह में खाद आने की संभावना है।
इफको का नैनो यूरिया आया 2500 बोतल
इफको के अधिकारी संदीप श्योराण ने बताया कि दानेदार यूरिया के अलावा 2500 बोतल नैनो यूरिया भी सोसायटियों के माध्यम से किसानों ने खरीदी हैं। एक बोतल एक बैग यूरिया का काम करती है जोकि स्प्रे कर प्रयोग किया जाता है। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रत्येक सोसायटी को एक स्प्रे पंप भी दिया गया है जिसके माध्यम से किसान स्प्रे कर सकते हैं। किसानों की मांग को देखते हुए 9 हजार बोतल की डिमांड भी कंपनी को भेजी गई है।
निजी दुकानों द्वारा यूरिया के साथ थोपी जा रही प्रयोग न होने वाली दवाएं
किसानों ने जानकारी देते हुए बताया कि सोसायटी में खाद न आने के चलते जब किसान नीजि दुकानों पर यूरिया खरीदने जाते हैं तो उन्हे यूरिया के प्रति बैग के साथ धान के फूटाव के लिए दवाएं थोप दी जाती हैं, जबकि ये दवाएं फसलों के लिए लाभदायक नही हैं। खाद की कालाबाजारी के बारे में पक्ष जानने के लिए जब कृषि विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मील से शुक्रवार सायं लगभग पौने पांच बजे कई बार बात करनी चाही तो उनका मोबाईल स्विच आॅफ मिला।
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