होनहार खिलाड़ी को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने सिखाई बेहतरीन खेल तकनीक, चमकाया देश का नाम (Gurpreet Kaur Insan Coach)
23 जुलाई से 15 अगस्त तक पटियाला में आयोजित नेशनल कैंप में भारतीय टीम को देंगी प्रशिक्षण
(रविन्द्र रियाज/विजय शर्मा)
नई दिल्ली/सरसा। दुनियाभर में डॉ. एमएसजी का नाम चमकाने वाली एक बेटी अब देश के होनहार जेवलिन थ्रोअर तैयार करेगी। जी, हां हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय जेवलिन थ्रोअर सतब्रह्मचारी सेवादार गुरप्रीत कौर इन्सां की। इस अंतरराष्टÑीय होनहार खिलाड़ी की शानदार उपलब्धियों और बेहतरीन खेल शैली की बदौलत भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने केन्या में 17 से 22 अगस्त 2021 तक होने वाली वर्ल्ड जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने वाली भारतीय जेवलिन थ्रो टीम की कोच नियुक्त किया है।
गुरप्रीत कौर इन्सां 23 जुलाई से 15 अगस्त तक पटियाला में आयोजित होने वाले नेशनल कैंप में भारतीय टीम को प्रशिक्षण देंगी। गुरप्रीत कौर इन्सां ने बताया कि उनके खेल जीवन का सफर 1996 में तब शुरू हुआ, जब उन्होंने 9वीं कक्षा में शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल, सरसा में एडमिशन लिया। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन सान्निध्य में बेटियों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनका बेहतरीन मार्गदर्शन किया गया और आधुनिक खेल सुविधाएं उपलब्ध करवाई। पूज्य गुरु जी के वचनों से प्रभावित होकर ही उनकी एथलेटिक्स खेलों में रूचि बढ़ी और जेवलिन थ्रो का अभ्यास शुरू किया।
पूज्य गुरु जी को दिया अपनी सफलता श्रेय
गुरप्रीत कौर ने कहा कि पूज्य गुरु जी ने ही उसे जेवलिन थ्रो की हर टैक्निक बारिकी से सिखाई और जिन्हें फॉलो करते हुए उनका प्रदर्शन लगातार सुधरता गया। वे अपने खेल जीवन के एक अनुभव को साझा करते हुए बताती हैं कि जेवलिन थ्रो की जिस टैक्निक को भारतीय खेल प्राधिकरण ने तीन महीने बाद लागू किया था, वो पूज्य गुरु जी ने उसे पहले ही सिखा दी थी। वे बताती हैं कि पूज्य गुरु जी ने उसे कंधे से थोड़ा ऊपर करके जेवलिन को थ्रो करने की तकनीक सिखाई थी, जिसे आज देश-दुनिया के सभी खिलाड़ी फॉलो करते हैं।
गुरप्रीत कौर इन्सां ने अपनी कड़ी मेहनत, लग्न और पूज्य गुरु जी के मार्गदर्शन से एक के बाद एक अनेक उपलब्धियां हासिल की। इस तरह ये होनहार खिलाड़ी और कोच अब तक 75 नेशनल प्रतियोगिताओं में 13 गोल्ड, 13 सिल्वर और 14 ब्रॉन्च मेडल जीत चुकी हैं। वहीं 7 अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर 1 गोल्ड और 2 ब्रॉन्च मेडल देश की झोली में डाले हैं। वे अपनी इस उपलब्धि का श्रेय पूज्य गुरु संत डॉॅ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को देते हुए कहती हैं कि ये सब मेरे पापा कोच डॉ. एमएसजी की बदौलत ही संभव हुआ है।
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