इमारत के मालिक व मैनेजर पर केस दर्ज
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जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे बख्शेंगे नहीं : उपायुक्त
गुरुग्राम (सच कहूँ न्यूज)। जिले के खंड फर्रूखनगर के गांव ख्वासपुर में रविवार रात को भारी बरसात व बिजली गिरने से गिरी तीन मंजिला इमारत ढह गई थी। इमारत के मलबे से सोमवार को बरसात के बीच दिनभर कड़ी मशक्कत के बाद तीन लोगों के शव निकाले गए, वहीं रात को निकाले गए घायल मजदूर को उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बचाव दल ने पूरी इमारत का रेस्क्यू का काम पूरा कर लिया है।
बता दें कि रविवार को गांव ख्वासपुर में एक वेयर हाउस परिसर में तीन मंजिला इमारत ढह गई थी। सूत्रों के मुताबिक इस तीन मंजिला बिल्डिंग में डीलक्स कंपनी में काम करने वाले श्रमिकों के रहने के लिए कमरे दिए गए थे। थाना फर्रूखनगर में डीलक्स कंपनी में चार साल से कार्यरत और बीते एक साल से ख्वासपुर वेयर हउस साइट पर कार्यरत विजय कुमार के बयान पर ही पुलिस ने इमारत के मालिक रविंद्र कटारिया व मैनेजर कृष्ण कौशिक के खिलाफ केस दर्ज किया है। रविंद्र कटारिया गुरुग्राम नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन बताए जा रहे हैं।
विजय कुमार पुत्र राजेश कुमार निवासी गांव आसलवास जिला भिवानी ने बताया कि वह स्वयं, अजय मिश्रा और कुछ अन्य कर्मचारी तीन मंजिला इमारत में मौजूद थे। इसी दौरान उन्हें कुछ चटकने जैसी आवाज आई। डर के चलते वे इमारत से बाहर निकल गए। जैसे ही वे दोनों बाहर निकले तो तीन मंजिला इमारत सेकेंड भर में ही ढह गई। इस दौरान इमारत में मौजूद अन्य कर्मचारी मलबे में दब गये। गुरुग्राम के डीसी डॉ. यश गर्ग ने कहा कि हादसे की गहन जांच कराई जाएगी। जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
एक साल पहले बता दिया था खस्ताहाल है इमारत
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मालिक ने नहीं दिया कोई ध्यान
गांव ख्वासपुर स्थित वेयर हाउस परिसर में ढही इमारत को लेकर सोमवार को खुलासा हुआ कि डीलक्स कंपनी और इमारत मालिक व मैनेजर को एक साल पहले बताया दिया था कि ये इमारत खस्ता हाल हो चुकी है और कभी भी गिर सकती है। पुलिस को दी शिकायत में कंपनी के कर्मचारी विजय कुमार ने यह बात कही। अब इस मामले में कंपनी और इमारत के मालिक रविंंद्र कटारिया व मैनेजर कृष्ण कौशिक की लापरवाही सामने आ रही है। हालांकि ये पूरा मामला जांच के बाद ही साफ हो सकेगा।
विजय कुमार ने शिकायत में कहा है कि कर्मचारियों के लिए नए आवासीय परिसर की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी। एक साल पहले तो इमारत की दयनीय हालत से भी प्रबंधन को अवगत करा दिया गया है। इमारत की एक तरफ जैक लगाकर इमारत के मालिक यह झूठा आश्वासन देते रहे कि अभी इमारत सही है। इसे नया बनाने की जरूरत नहीं है। उनकी घोर लापरवाही की वजह से ही यह हादसा हुआ है।
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