25 एकड़ में कर रहे किन्नू, अमरूद, अनार, सेब, बेर व खजूर की खेती
(Shiv Shankar Farmer from Uklana)
सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र उकलाना। कृषि एक और जहां घाटे का सौदा बनती जा रही है व बढ़ती हुई महंगाई के कारण किसान अपने खर्चे भी पूरे नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में उकलाना खंड के गांव प्रभुवाला के पढ़े-लिखे युवा किसान शिव शंकर ने वैज्ञानिक तकनीक का फायदा उठाते हुए कृषि को एक नया स्वरूप दिया है। शिव शंकर ने नई तकनीक द्वारा खेत में किन्नू, अमरुद, अनार, बेर, खजूर, खरबूजा व सेब उगाया हुआ है। सच कहूँ से खास बातचीत में उन्होंने बताया की आजकल परम्परागत खेती में हो रहे घाटे को देखते हुए वे आज बागवानी में अनेक फलदार पौधे लगाकर आमदनी बढ़ा रहे हैं।
2005 में की थी बागवानी की शुरूआत
शिव शंकर ने बताया की पारम्परिक खेती करने से वे 2005 में उब चुके थे और उन्हें कोई खास आमदनी भी नहीं हो रही थी। इसलिए उन्होंने बागवानी और वैज्ञानिक तकनीक से खेती की शुरूवात की और आज 25 एकड़ में बागवानी करके शिव शंकर न केवल खुद बल्कि दूसरों के मार्गदर्शक कृषि रत्न किसान बन चुके हैं।
हरियाणा सरकार ने दिया कृषि रत्न पुरस्कार
शिव शंकर आज बागवानी और वैज्ञानिक तकनीक से खेती करके दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं और दूर दराज के किसान भी उनसे खेती संबंधी सलाह लेते हैं। बागवानी और वैज्ञानिक तकनीक से खेती के लिए महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा गन्नौर, सोनीपत में एक समारोह में फरवरी 2019 में उन्हें हरियाणा कृषि रत्न से सम्मानित किया जा चुका है। हरियाणा कृषि विश्ववद्यालय द्वारा प्रगतिशील किसान का अवार्ड व बागवानी विभाग द्वारा भी प्रगतिशील किसान के अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इसके आलावा भी कृषि से सम्बंधित अनेक कार्यक्रमों में उन्हें कुल 9 बार सम्मानित किया जा चुका है।
ड्रिप सिंचाई द्वारा कर रहे पानी की बचत
कृषि में अच्छी उपज लेने के लिए पानी की एक अह्म भूमिका होती है परंतु पिछले काफी सालों से बरसात में हो रही कमी से भूमिगत जल स्तर में लगातार गिरावट के कारण ज्यादातर किसान खारे पानी को कृषि में सिंचाई के लिए प्रयोग करते हैं। जिससे उनकी भूमि उपजाऊ क्षमता में कमी आती है। परन्तु शिव शंकर ड्रिप प्रणाली के माध्यम से पानी व खाद की बचत करते हैं और उन्होंने अपने खेत में सिंचाई के लिए 105 फीट का सामुदायिक टैंक बनवा रखा है। जिसमें आवश्यकतानुसार पानी स्टोर किया जा सकता है और फसलों को पानी दिया जा सकता है।
किसान शिव शंकर 25 एकड़ में खेती करते हैं, जिसमें बागवानी में किन्नू , अमरूद, सेब, माल्टा, आड़ू , अनार, बेर, खजूर, खरबूजा की खेती करते हैं। इनसे वे समय अनुसार सब्जियों की अच्छी पैदावार लेते हैं। वहीं उन्होंने 3 एकड़ में नेट हाउस लगा रखा है, जिसमें वे रंगीन शिमला मिर्च की फसल से काफी मुनाफा कमा रहे हैं।
प्रत्येक एकड़ से ले रहे ढाई लाख तक की आमदनी
शिव शंकर ने बताया की बागवानी और वैज्ञानिक तकनीक से खेती करने से आज उनकी आमदनी बढ़कर पांच गुना हो गई है। उन्होंने 2005 में पारम्परिक खेती को अलविदा कहकर वे किसान समूह से जुड़ गए जहां पर उन्हें ये सीखने को मिला की पारम्परिक खेती की बजाए बागवानी से ज्यादा आमदनी हो सकती है। उन्होंने बताया की पारम्परिक खेती से उन्हें केवल 20-25 हजार की ही बचत हो पाती थी मगर बागवानी अपनाने से उन्हें अब ढाई लाख की आमदनी हो रही है।
वैज्ञानिक तकनीक से किसान बढ़ा सकते हैं पांच गुना आमदनी
किसान ने बताया की मेरा मानना है वर्तमान में किसानों को परम्परिक खेती की जगह वैज्ञानिक तकनीक और बगवानी कृषि अपनानी चाहिए। उन्होंने वैज्ञानिक तकनीक और बागवानी से अपनी आमदनी पांच गुना बढ़ाई है। शिव शंकर ने कहा की सरकार बागवानी और वैज्ञानिक तकनीक से खेती के लिए अनुदान भी प्रदान करती है। किसान सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी आमदनी पांच गुना बढ़ा सकते हैं। इसके लिए शिव शंकर दूर-दराज के किसानों को प्रेरित कर रहे हैं।
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