हुड्डा बोले 27.9 फीसदी पहुंची, सीएम खट्टर का दावा सिर्फ 6 प्रतिशत
सच कहूँ/अनिल कक्कड़, चंडीगढ़। प्रदेश में बेरोजारी के आंकड़ों पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा आमने-सामने आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने आरोप लगाया कि मौजूदा सरकार की नाकामी के चलते इस वक्त देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हरियाणा में है और अगर मुख्यमंत्री बेरोजगारी को लेकर सीएमआईई के आंकड़ों को नहीं मानते तो उन्हें एनएसएसओ केंद्र और प्रदेश सरकार के आंकड़ों को उठाकर देख लेना चाहिए।
वहीं हुड्डा के ब्यान पर पलटवार करते हुए सीएम ने कहा कि विपक्ष के नेता हर बार एक ऐसी संस्था की रिपोर्ट का उल्लेख करते हैं, जिसकी अपनी कोई साख नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकीय संगठन की मार्च, 2020 की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी से मार्च, 2020 के बीच हरियाणा में बेरोजगारी दर 7 प्रतिशत थी, जबकि सी.एम.आई की रिपोर्ट में यह 23.7 प्रतिशत दिखाई गई। इसलिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा द्वारा हरियाणा में बेरोजगारी दर में वृद्धि पर की जा रही बयानबाजी झूठी और बेबुनियाद है।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के अनुसार खुद प्रदेश सरकार का ताजा आर्थिक सर्वेक्षण बताता है कि प्रदेश के 8,81,679 लोगों ने नौकरी के लिए रजिस्टर करवाया था, लेकिन सरकार सिर्फ 2,816 लोगों को ही नौकरी दे पाए। इतना ही नहीं लोकसभा चुनावों के बाद जारी हुए एनएसएसओ के आंकड़ों से पता था कि बीजेपी सरकार के दौरान 45 साल की बेरोजगारी का रिकॉर्ड टूट गया। जब देश में 6.1 फीसदी बेरोजगारी दर थी, तब हरियाणा में उससे लगभग डेढ़ गुणा ज्यादा 8.6 फीसदी प्रतिशत की बेरोजगारी दर थी। हरियाणा की बेरोजगारी दर यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े माने जाने वाले राज्यों से भी ऊपर दर्ज की गई। जिसमे केरल के बाद हरियाणा देश में दूसरे नंबर पर था। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि उनकी सरकार के दौरान प्रदेश की बेरोजगारी दर सिर्फ 2.8 फीसदी हुआ करती थी, जो आज बढ़कर 27.9 फीसदी हो चुकी है।
राजनीतिक रोटियां सेंक रही कांग्रेस : मनोहर लाल
मनोहर लाल ने कहा कि कांग्रेस के नेता एक ऐसी संस्था की रिपोर्ट पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहे हैं, जिसकी अपनी कोई साख नहीं है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी ( सीएमआईई) लाभ कमाने के लिए बनाई गई निजी स्वामित्व वाली कंपनी है, जिसके निर्णय को निष्पक्ष एवं पारदर्शी नहीं कहा जा सकता।
परिवार पहचान पत्र के तहत प्रदेश के लगभग प्रत्येक परिवार का पंजीकरण हो चुका है, जिसमें लोगों ने स्वयं बेरोजगारी को घोषित किया है, जो केवल 6 प्रतिशत है।
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