सेवानिवृति के बाद भी जारी है वन्य जीवों की सुरक्षा व पर्यावरण संरक्षण का काम
सच कहूँ/कुलदीप स्वतंत्र
उकलाना। मनुष्य का जीवन इस संसार में बेशकीमती माना गया है। मनुष्य के अलावा जीव-जंतुओं में अक्सर अपने घायल तड़पते साथी को सहायता पहुंचाने की समझ नहीं होती। अपने किसी घायल साथी के जख्म को सहलाकर उसे दर्द से राहत तो पहुंचा सकते हैं, परन्तु उन्हें पूरी तरह से जख्म को ठीक नहीं कर सकते हैं जबकि मनुष्य में ये सभी गुण पाए जाते हैं और इन्हीं गुणों के कारण मनुष्य किसी भी घायल जीव-जंतु का इलाज कर उसे पूरी तरह से ठीक कर सकता है।
बहुत से ऐसे व्यक्तित्व समाज में घायल बेजुबानों का इलाज कर समाज में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। बेजुबान जीवों की सेवा और रक्षा करना ही अपने जीवन का लक्ष्य मानते हैं। इन्ही में से एक है उकलाना खंड के वन्य प्राणी निरीक्षक के पद से सेवानिवृत्त मुगलपुरा निवासी रामेश्वर दास, जो सेवाकाल के दौरान से ही वन्य प्राणियों की सुरक्षा का बीड़ा उठाए हैं।
बेजुबानों का दर्द बनाया अपना दर्द
वन्य प्राणी निरिक्षक के पद से सेवानिवृत्त रामेश्वर दास अब भी पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का लक्ष्य बनाए हुए हैं। उन्होंने पौधारोपण व बेजुबान जीवों की रक्षा को अपने जीवन का अंग बना लिया है। वर्तमान समय में उन्हें उकलाना क्षेत्र के विभिन्न सार्वजनिक जगहों पर फलदार व औषधीय पौधे लगाते हुए देखा जा सकता है। रामेश्वर दास हमेशा अपनी गाड़ी में पौधे, कस्सी व बाल्टी रखकर चलते हैं और जहां भी उचित जगह मिलती है, वहीं स्थानीय निवासियों के सहयोग से पौधे लगाते हैं।
31 साल तक वन्य जीवों की रक्षा करते-करते कब पर्यावरण व वन्य प्राणियों से प्रेम हो गया, इन्हें खुद नहीं पता चला। सेवा काल के दौरान रामेश्वर दास ने न केवल लाखों जीवों की रक्षा की बल्कि इनका शिकार करने वालों को सलाखों के पीछे भी पहुंचाया। कई बार तो खुद की जान की परवाह किए बिना अपनी टीम के साथ खतरनाक वन्य जीवों को बचाया है। उन्हें वन्य जीवों से ऐसा लगाव हुआ कि उन्होंने बेजुबानों का दर्द अपना दर्द बना लिया। जिसके लिए हरियाणा सरकार के अतिरिक्त अनेक सरकारी व सामाजिक संस्थाएं रामेश्वर दास को इस कार्य के लिए सम्मानित कर चुकी है।
खुद की जान जोखिम में डालकर बचाया है वन्य जीवों को
रामेश्वर दास ने बताया कि उन्होंने बुड़ाक गांव व बीड़ हिसार से पैंथर का सफल रेस्क्यू कर उसे कलेसर के जंगलों में छोड़ा। बुड़ाक गांव के रेस्क्यू अभियान के दौरान जान की परवाह किए बिना कुएं में अपनी टीम के साथ उतर के जंगली पैंथर को सुरक्षित निकाला। इसके इलावा हवाई अड्डा हिसार से भारी अजगर पाईथन को सुरक्षित काबू कर जंगलों में छोड़ा। जान का रिस्क होने के बाद भी बेजुबान जीवों की रक्षा करना मन को तसल्ली देता था।
वन मंत्री सहित अनेक अधिकारी कर चुके सम्मानित
सामाजिक कार्य के लिए उन्हें वन मंत्री सहित अनेक अधिकारी व संस्थाएं सम्मानित कर चुकी हैं। पैंथर को सुरक्षित बचाने के लिए हरियाणा सरकार की ओर से वन मंत्री राव नरवीर सिंह ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। वन विभाग की ओर से क्षेत्रिय वन मण्डल अधिकारी ने पयार्वरण प्रहरी सम्मान प्रदान किया। इसके अतिरिक्त अनेक ग्राम पंचायतों व सामाजिक संस्थाएं इन्हें पयार्वरण व वन्य जीव संरक्षण के लिए सम्मानित कर चुकी हैं।
उनका समाज को एक ही संदेश है वन्य जीव नहीं होंगे तो हम भी नहीं होंगे, पर्यावरण संरक्षण नहीं होगा तो हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा। भविष्य की योजनाओं के बारे में उन्होंने बताया की भविष्य में मैं मेरे खेत में रैन बसेरा बना रहा हूँ, जहां घायल पक्षी का इलाज कर ठीक होने के बाद गगन में छोड़ दूँ। इसके अलावा पक्षियों के लिए प्राकृतिक व कृत्रिम आवास की व्यवस्था बना रहा हूँ, जहां पक्षी प्रजनन करें व प्रकृति महकाएं।
वन्य जीव व पर्यावरण सरंक्षण के लिए करते हैं जागरूक
मुगलपुरा निवासी रामेश्वर दास वर्तमान समय में भी ना केवल स्वयं वन्य जीवों को बचाने के लिए प्रयासरत हैं, बल्कि लोगों को वन्य जीव व पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक भी करते हैं। अप्रैल 2021 में वन विभाग से रिटायर्ड इंस्पेक्टर रामेश्वर दास ने बताया कि सन् 1990 में वन विभाग के वन्य प्राणी विंग में बतौर गार्ड भर्ती होने के बाद प्रशिक्षण के दौरान वन्य जीवों व पर्यावरण का महत्व पता चला।
जीवों की रक्षा करते-करते इतना लगाव हुआ कि इनकी रक्षा अपने जीवन का मिशन बना लिया, इसमें विभाग के इलावा बिश्नोई समाज का बहुत सहयोग मिला। जीवों की रक्षा, घायल जीव का इलाज व शिकारियों को पकड़वाने में इस समाज के लोगों ने विभाग का बहुत सहयोग किया।
जरूरतमंद कन्या की शादी में करते हैं आर्थिक सहयोग
बातचीत में रामेश्वर दास ने बताया कि वे अनेक समाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। उकलाना की सामाजिक संस्थाओं द्वारा मकर सक्रांति के अवसर पर हर साल गरीब कन्याओं की शादी की जाती है, जिसमें रामेश्वर दास हर वर्ष एक कन्या की शादी का खर्च वहन करते हैं। इसके अतिरिक्त गांव व क्षेत्र में सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के साथ जुड़कर अपना योगदान देते हैं, चाहे वो कार्य रक्तदान का हो या बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं या फिर जल संरक्षण का।