2019 के बाद से नहीं है हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड का चेयरमैन
सच कहूँ/देवीलाल बारना, कुरुक्षेत्र। सालों बाद भी हरियाणा में बनी सरकारें मिट्टी के कारीगरों को आवे-पंजावे की जगह उपलब्ध करवाने में नाकाम साबित हुई हैं। बेशक हरियाणा की मौजूदा सरकार स्वदेशी का खूब ढोल पीट रही हो लेकिन वास्तविकता इसके उल्ट है। ऐसे में सरकारों के जन प्रतिनिधि और अधिकारी पंजाब विलेज कॉमन लैंड रूल 1964 का मजाक बना रहे हैं। नियम के अनुसार प्रत्येक गांव में जहां पर भी पंचायतों के पास शामलाती भूमि हो वहां पर कुम्हारदाने के लिए 2 से 5 एकड़ तक जमीन दिए जाने का प्रावधान है। इसको लेकर दर्जनों बार उपायुक्त स्तर पर पत्र भी लिखे जा चुके हैं व संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश भी समय-समय पर जारी किए गए हैं। लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल वितरीत रही है। इन आदेशों को अमलीजामा पहनाने की जहमत न तो जन प्रतिनिधि उठाने को तैयार हैं और न ही प्रशासन।
एक्ट में आवे-पंजावे की जमीन को लेकर ये हैं प्रावधान
नियम की बात करें तो नियम 3 (4) पंजाब विलेज कॉमन लैंड रेगुलेशन 1964 यह शक्ति प्रदान करता है कि जिला के उपायुक्त पंचायत विभाग के माध्यम से गांवों के सरपंचों को शामलाती भूमि में से संख्या के अनुसार 2 से 5 एकड़ तक कुम्हारों को मिट्टी के बर्तन बनाने व आवे-पंजावे के लिए दी जाए। इसको लेकर पत्र व्यवहार तो निदेशक पंचायत विभाग हरियाणा व अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार द्वारा कई बार जिला उपायुक्तों को जारी किए गए हैं, लेकिन पंचायती स्तर पर इस नियम को लागू करने में सरकार नाकाम रही है।
कब-कब किस स्तर पर जारी हुए आदेश
चौ. बंसीलाल की सरकार के समय 23 नवंबर 1997 को जारी पत्र क्रमांक 97/73194-250 आयुक्त एवं सचिव हरियाणा सरकार विकास तथा पंचायत विभाग द्वारा हरियाणा के सभी खंड़ विकास एवं पंचायत अधिकारियों को जारी किया गया था। जिसमें 24 जनवरी 1985 के पत्र क्रमांक एस 01-85/2998-3093 व 19 नवंबर 1991 के पत्र क्रमांक एस 01-91/16582-690 का हवाला दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2003 में चौ. ओमप्रकाश चौटाला सरकार में आदेश दिए गए। 2007 में चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार में भी ये आदेश जारी किए गए। इसके बाद अतिरिक्त मुख्य सचिव हरियाणा सरकार विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा द्वारा हरियाणा के सभी जिला उपायुक्तों को 3 जुलाई 2014 को फिर से पत्र जारी किया गया था।
2013 में गठित हरियाणा मिट्टी बोर्ड बना सफेद हाथी
वर्ष 2013 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड का गठन किया गया। भूपेंद्र गंगवा को बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। 2014 में कांग्रेस सरकार जाने के बाद बोर्ड को कैंसिल कर दिया गया। इसके बाद भाजपा सरकार में 2016 में फिर से बोर्ड का गठन किया गया। तक सरसा के गुरदेव राही को चेयरमैन बनाया गया, इसके बाद 2018 में हिसार के कर्ण सिंह रणौलिया को चेयरमैन बनाया गया। विस चुनाव से पहले 2019 में इन्होने इस्तीफा दे दिया और तब से बोर्ड का कोई चेयरमैन नही है।
गांव की राजनीति से उपर उठकर करना होगा काम: रंबा
हरियाणा मिट्टी कला बोर्ड़ के सदस्य एवं प्रजापति जागरूक सभा के प्रदेशाध्यक्ष रामकुमार रंबा ने इस बात पर कडा अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि असल मे कुम्हारों को आवे-पंजावे के लिए जमीन न मिलने का सबसे बडा कारण स्थानीय स्तर पर राजनीति है। उपर के स्तर से तो कई बार आवे-पंजावे की जमीन देने के लिए आदेश जारी किए जा चुके हैं, लेकिन बात स्थानीय स्तर पर आकर रूक जाती है। मौजूदा समय में कुम्हार समाज की सबसे बडी समस्या मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए मिट्टी की उपलब्धता है।
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