अब 15 जुलाई तक विशेष अभियान चलाकर हर बच्चे तक पहुंचाई जाएगी किताबें
- गूगल फार्म पर अपलोड करना होगा डाटा
- अभी तक महज 50 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास पहुंची किताबें
सरसा(सच कहूँ/सुनील वर्मा)। कोरोना काल के चलते राज्य के शिक्षा विभाग ने इस बार भी पाठ्य पुस्तकों की छपाई नहीं करवाई। ताकि इस दौर में आर्थिक नुकसान से बचा जा सके। लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसके लिए विभाग द्वारा स्कूल मुखियाओं और प्रिंसीपल को आदान-प्रदान प्रक्रिया के तहत बच्चों तक पुरानी पुस्तकों को पहुंचाने के आदेश मई माह में दिये गये थे। लेकिन सरकारी स्कूलों में नया शिक्षा सत्र शुरू हुए 20 से अधिक दिन हो चुके हैं।
मगर अभी तक करीबन 50 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास ही किताबें पहुंच पाई है। इसलिए विभाग ने एक बार फिर पाठ्य पुस्तकों के पारस्परिक आदान-प्रदान के संदर्भ में 10 दिवसीय विशेष अभियान चलाकर 15 जुलाई तक हर हाल में गूगल फॉर्म में पुस्तकों संबंधी डाटा भरकर विभाग को भेजने के निर्देश दिए है। पत्र के माध्यम से विभाग ने स्पष्ट किया है कि अगर फि र भी कोई ढ़िलाई बरती गई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
विभाग ने भेजे कई स्मरण पत्र, विद्यालय साधे हुए है चुप्पी
दरअसल जूनियर बच्चों के लिए सीनियर बच्चों के पास से लाई गई किताबों का रिकॉर्ड गूगल फार्म पर अपलोड नहीं किया जा रहा है। शिक्षा विभाग ने 28 जून को पत्र जारी कर आदान-प्रदान प्रक्रिया के तहत बच्चों तक पहुंचाई गई पुस्तकों की जानकारी 5 जुलाई तक गूगल फॉर्म पर अपलोड करने के निर्देश दिए थे। लेकिन स्कूलों ने अभी तक सही जानकारी अपलोड नहीं की है। हालांकि विभाग ने कई स्मरण पत्र भेजे, पर रिकॉर्ड भेजने के नाम पर सभी चुप्पी साधे है। विभाग ने फिर से स्मरण पत्र भेजकर शीघ्र किताबों का रिकॉर्ड गूगल फार्म पर अपलोड करने के निर्देश दिए है। साथ ही कहा कि अगर इस बार थोड़ी सी भी अनियमितता या लापरवाही हुई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एसएमसी कमेटी को दी थी जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग ने प्रत्येक स्कूल में पत्र भेजकर सीनियर सेकेंडरी बच्चों से जूनियर के लिए किताबें लेने के निर्देश दिए थे। साथ ही इन किताबों को एकत्रित करने की भी जिम्मेदारी स्कूल टीचर से लेकर एसएमसी कमेटी के सदस्यों को दी गई थी। ताकि बच्चों को किताबों के लिए दूसरे बच्चों के घरों तक न जाना पड़े। साथ विभाग ने सभी के लिए कोविड-19 के नियमों की भी पालना करने के आदेश दिए गए थे। बताते है कि शिक्षा विभाग के निर्देश आने के कुछ दिनों तक टीचरों ने बच्चों के घरों पर संपर्क करके उनसे किताब अरेंज करने लगे, लेकिन कुछ दिनों के बाद उक्त अभियान दम तोड़ गया। उसके बाद से यह जानकारी नहीं है कि किताबें एकत्रित हुई या नहीं।
15 तक देनी होगी जानकारी
शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों को जारी पत्र के मुताबिक 28 जून तक सभी स्कूल मुखियाओं को उधार में ली गई किताबों का रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए गए थे। आदेशों में कहा गया था कि कितने विषयों की कितनी किताबें हैं। उक्त जानकारी भी गुगल फार्म पर लोड की जा सकें। ताकि कितने बच्चों में किताबों को विषय के हिसाब से बांटा जा सकें। इस तरह की जानकारी आज तक अपलोड नहीं हो पाई। इस बारे में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने नाराजगी जताते हुए कहा कि वे हर हाल में 15 जुलाई तक जानकारी भेजे। अगर फिर कोई ढ़िलाई बरती जो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
9 लाख बच्चों को बांटी थी 50 लाख किताबें
शिक्षा विभाग ने बीते साल बच्चों से किताबें वापस लेकर दूसरे बच्चों को दी थी। जिससे प्रदेश के करीब नौ लाख बच्चों को फायदा हुआ था। उनको करीब 50 लाख पुस्तकें मिली थी। ऐसे में बच्चों को आसानी व सुगमता से किताबें मिल गई और साथ में सरकार को किताबें भी नहीं छपवानी पड़ी। कोरोना काल में आर्थिक नुकसान से बचा जा सकेगा।
पाठ्य पुस्तकों के परस्पर आदान-प्रदान को लेकर विशेष अभियान चलाने के लिए विभागीय आदेश मिले है। जिसे अध्यापकों व स्कूल मुखियाओं को भेज दिया गया है। अभियान के तहत 15 जुलाई तक किताबों की पूरी जानकारी गूगल फार्म पर अपलोड करनी है। अगर कोई लापरवाही करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
–आत्मप्रकाश मेहरा, जिला मौलिक
शिक्षा अधिकारी, सरसा।
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