जाखल (सच कहूँ/तरसेम सिंह)। भले ही हरियाणा में कोरोना का प्रकोप पहले से कम है, फिर भी हरियाणा शिक्षा विद्यालय बोर्ड ने सभी स्कूलों की गर्मी की छुट्टयिां फिलहाल 30 जून 15 जुलाई तक बढ़ाई हुई हैं। लेकिन अभी जुलाई में स्कूल खोलने को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। क्योंकि अगस्त से अक्तूबर के बीच कोरोना की थर्ड वेव का खतरा मंडरा रहा है तो दूसरी ओर 25 मार्च 2020 से बंद चल रहे स्कूलों के कारण बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। हालांकि सरकार द्वारा वर्चुअल आॅनलाइन पढ़ाई करवाई जा रही है और साथ में अभिभावकों से फीडबैक भी ली जा रही है।
हरियाणा में भी अन्य राज्यों की तरह ही कोविड 19 महामारी के चलते लगभग डेढ़ साल से स्कूल बंद हैं। और आॅफ लाइन शिक्षण कार्य तकरीबन ठप है। 2021 साल की शुरूआत में फरवरी में कुछ दिन बड़े बच्चों के लिए स्कूलों को खोला गया था, लेकिन सेकेंड वेव की आहट के साथ ही फिर से बंद कर दिया गया। अभी हरियाणा सरकार अपना फैसला नहीं ले पाई कि यहां 15 जुलाई से ऑनलाइन क्लासेज ही चलेंगी या स्कूलों को खोला जाएगा। लेकिन जिस तरह कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बात हो रही है कि इसमें बच्चे ज्यादा शिकार होंगे। उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां भी शायद 15 जुलाई से स्कूल नहीं खोले जाएंगे।
वर्चुअल क्लास के जरिए बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल: सतपाल
जाखल के गांव शक्करपुरा के नरेंद्र मेमोरियल सेकेंडरी कन्या स्कूल के चेयरमैन सतपाल इन्सां ने कहा वर्चुअल क्लास के जरिए समझाना बहुत मुश्किल है। खासकर उन घरों के बच्चों को जिनके अभिभावक कम पढ़े लिखे हैं, उनके लिए ऑनलाइन शिक्षा बेकार साबित हो रही है। बच्चे पढ़ाई के बजाय मोबाइल फोन पर गेम खेलते रहते हैं और धीरे-धीरे वे इसके आदी होते जा रहे हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। अभिभावक भी नहीं समझ पा रहे हैं कि कैसे इन बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। इन बच्चों के भविष्य को लेकर कुछ सकारात्मक फैसलों की जरूरत है।
ऑनलाइन लर्निंग सही या गलत?
कोरोना के चक्कर में ब्लैक बोर्ड की जगह लैपटॉप और कंप्यूटर स्क्रीन ने ले ली है। बच्चों के साथ-साथ पेरेंट्स के लिए भी ये ऑनलाइन लर्निंग नई है। पिछले कुछ महीनों से पढ़ाई का यही पैटर्न चल रहा है। फिलहाल तो किसी को ये भी नहीं पता कि स्कूल कब खुलेंगे और बच्चे कब पहले की तरह नॉर्मल तरीके से अपनी पढ़ाई कर पाएंगे। ऐसे में ऑनलाइन क्लासेस ही बच्चों के भविष्य का आधार बना हुआ है। वर्चुअल एजुकेशन से काफी कुछ बदल गया है। क्लास रूम में पहले जहां एक-एक बच्चे को पर्सनली टेस्ट किया जाता था, वहीं आॅनलाइन लर्निंग में ये सब बदल गया है। बच्चे के शुरूआती सालों में लर्निंग बहुत जरूरी होती है और पेरेंट्स को यह समझना चाहिए कि बच्चे ऑनलाइन कितना सीख रहे हैं या कुछ उनकी समझ में आ भी रहा है या नहीं।
देश में बीते मार्च में शुरू हुआ लॉकडाउन का दौर तो थम चुका है, लेकिन कोरोना महामारी का खतरा अभी भी बरकरार है। कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है, जो इससे अछूता हो। ऑनलाइन व्यवस्था के बावजूद बहुत से बच्चों की शिक्षा चरमरा गई है। कुछ ही बच्चे हैं, जो वर्चुअल क्लास का लाभ उठा पा रहे हैं। माना जा रहा है कि कोरोना का कभी भी पूर्ण अंत नहीं होगा। इसी के साथ जीना होगा। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा व्यवस्था को कैसे पटरी पर लाया जाएगा?
-हरी चंद गर्ग, अभिभावक।
आखिर कब तक स्कूल से दूर रहना पड़ेगा? वर्चुअल क्लास के सहारे कब तक पढ़ाई जारी रहेगी? इस व्यवस्था से अब बोरियत होने लगी है। इसमें पढ़ाई के दौरान कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खेलों से दूरी बन गई है। लगातार घर में कैद रहने की वजह से शारीरिक और मानसिक परेशानियों से भी दो चार होना पड़ रहा है। पूर्ण सावधानियों के साथ हम लोगों के लिए नियमित कक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए। कब तक भय के बीच जीना होगा?
-हरमन दीप, छात्र सरकारी स्कूल चांदपुरा।
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