नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। कोरोना महामारी में देश के अन्य हिस्सो में लोगों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है। कोरोना की पहली लहर से उबरने के बाद दूसरी लहर ने फिर से रोजगार पर बुरा असर डाला है। देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रखने के लिए सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौति है। कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं की नौकरी चली जाने से रोजगार पर बुरा असर पड़ा है।
कंसल्टिंग फर्म डालबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कम आए वाले परिवारों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक बार नौकरी खो दी, अपने भोजन के सेवन के साथ-साथ आराम में कटौती की और अधिक अवैतनिक देखभाल कार्य प्रदान किया। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल कोविड-19 महामारी की पहली लहर के बाद उन्हें कार्यबल फिर से प्रवेश करने में अधिक समय लग रहा है। पिछले वर्ष मार्च-अक्तूबर की अवधि को कवर करने वाली रिपोर्ट में शामिल दसवीं महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कम खाना खाया या भोजन से बाहर हो गई, जबकि 33 प्रतिशत से अधिक विवाहित महिलाएं थीं।
बची-कुची कसर दूसरी लहर में हुई पूरी
भारत ने पिछले कुछ महीनों में एक विनाशकारी दूसरी लहर देखी, जिसके परिणामस्वरूप यह क्षेत्र दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते कोविड के प्रकोप से जूझ रहा था, जिसने इसके अस्पतालों और श्मशानों को अभिभूत कर दिया था। जबकि अध्ययन में यह बताया गया है कि सबसे बुरी तरह से प्रभावित होने से पहले भारत में महामारी कैसे रहती है, यह इस बात को रेखांकित करता है कि महिलाओं के पोषण, स्वास्थ्य और रोजगार को सबसे पहले नुक्सान उठाना पड़ता है जब घरेलू खर्चों को निचोड़ने की जरूरत होती है और शायद ठीक होने के लिए आखिरी।
रिपोर्ट की लेखिका स्वेता टोटपल्ली ने कहा ‘हम जमीनी स्तर के संगठनों से जो सुन रहे हैं, वह यह है कि दूसरी लहर ने उन प्रभावों को बढ़ा दिया है जो हम पहली लहर में कई तरह से देख रहे थे,‘
गरीबी में लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं
टोटपल्ली के अनुसार, यदि महामारी अधिक महिलाओं को कार्यबल से बाहर कर देती है, तो परिवार कर्ज और गरीबी में और अधिक लड़कियां स्कूल छोड़ देती हैं, जिससे संभवत: अधिक बाल विवाह हो जाते हैं, तो समाज को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
कैसे हुआ अध्ययन
- यहां अध्ययन के कुछ अन्य निष्कर्ष दिए गए हैं, जिसमें 10 भारतीय राज्यों में कम आय वाले परिवारों के लगभग 15,000 महिलाओं और 2,300 पुरुषों का सर्वेक्षण किया गया था।
- कोरोना महामारी से पहले काम करने वालों में महिलाएं सिर्फ 24% थीं, लेकिन अब 28% है।
- उन सभी लोगों में से जिन्होंने नौकरी खो दी, और उनमें से 43% ने अभी तक अपने भुगतान किए गए काम की वसूली नहीं की है।
- 43% पुरुषों की तुलना में लगभग 47% महिलाओं ने काम में वृद्धि की सूचना दी और 41% महिलाओं बनाम 37% पुरुषों ने अवैतनिक देखभाल कार्य में वृद्धि देखी।
- 27% महिलाओं ने कहा कि उन्हें 18% पुरुषों की तुलना में महामारी में कम आराम मिला
- मुस्लिम और साथ ही प्रवासी महिलाएं, और एकल, अलग या तलाकशुदा महिलाएं सबसे कठिन स्थिति में थीं।
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