वेदप्रकाश व संदीप चुघ इन्सां के परिवार ने पेश की गुरमुखता की मिसाल
सच कहूँ/सुनील वर्मा सरसा। पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा दिखाई गई राह पर चलते हुए 50 वर्षों से किराए की दुकान करने वाले डेरा प्रेमी वेदप्रकाश ने अद्भूत मिसाल पेश करते हुए दुकान को उसके असली मालिक को लौटा दिया। डेरा प्रेमी के इस नेक कार्य की शहर के प्रबुद्धजनों, सरसा ब्लॉक कमेटी सहित हर कोई प्रशंसा कर रहा है। इस मौके पर सरसा ब्लॉक भंगीदास कस्तूर सोनी इन्सां व अनिल चुघ मौजूद रहे।
ब्लॉक सरसा के 15 मैम्बर संदीप चुघ इन्सां ने बताया कि 50 साल पहले शहर के नोहरिया गेट में उनके पिता वेद प्रकाश ने गुरदित्ता मल वेद प्रकाश नाम की फर्म के नाम पर एक दुकान निरंजन लाल रस्तोगी से किराये पर ली थी। उन्होंने बताया कि दुकान किराये पर लिये हुए अब 50 साल से अधिक समय हो गया है और निरंजन लाल रस्तोगी भी अब इस संसार को छोड़कर सचखंड जा विराजे हैं। उन्होंने पूज्य गुरु जी द्वारा दिखाये रास्ते पर चलते हुए शुक्रवार को दुकान मालिक के बेटे महेन्द्र रस्तोगी को उनकी दुकान की चाबी व दुकान का कब्जा उन्हें सौंप दिया।
15 मैंबर संदीप चुघ इन्सां व वेद प्रकाश ने संयुक्त रूप से बताया कि हमारे सतगुरु जी ने सदैव हमें मेहनत व हक हलाल की कमाई करना सिखाया है। सतगुरु की दिखाई उसी राह पर चलते हुए हम दुकान मालिक को कहते थे कि भई दुकान तुम्हारी है और तुम्हारी रहेगी। हमने कभी मन में भी नहीं सोचा कि उसकी दुकान पर कब्जा कर लें। उन्होंने बताया कि हालांकि लोगों ने तरह-तरह के प्रलोभन भी दिये, कुछ ने कहा कि इतने सालों से दुकान किराए पर ली हुई है तुम्हारा कब्जा है, कोई नहीं छुड़वा सकता। तो कोई कहता कि दुकान छोड़ने की एवज में उनसे कीमत वसूल लेना। लेकिन उनके मन में कभी ऐसा ख्याल नहीं आया। आज भी जब वह दुकान खाली कर रहा है तो उसे खुशी हो रही है कि वो किसी की अमानत उसके असली मालिक को लौटा रहा है।
दुकान मालिक के बेटे महेन्द्र रस्तोगी ने डेरा श्रद्धालु के इस कार्य की सराहना करते हुए कहा कि धन्य है ऐसे गुरु और उनके शिष्य, जो कहते ही नहीं बल्कि करके दिखाते हैं। आज के समय में जहां चंद रूपयों के लिए भाई-भाई का दुश्मन बन बैठा है, उस समय में लाखों रूपये कीमत की दुकान वापिस करना बहुत बड़ी बात है। ऐसे लोगों के कारण ही समाज में ईमानदारी जिंदा है।
सरसा ब्लॉक भंगीदास कस्तूर सोनी इन्सां ने कहा कि वेदप्रकाश इन्सां, उनके पुत्र संदीप चुघ इन्सां व उनके परिवार द्वारा इस घोर कलियुग के समय में ईमानदारी की बहुत बड़ी मिसाल कायम करते हुए गुरुमुखता दिखाई है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में जब लोगों के पास नौकरी और पैसा नहीं है, ऐसे में वेद प्रकाश व संदीप चुघ परिवार द्वारा लाखों रूपये के कीमत की दुकान का कब्जा वापिस दुकान मालिक को सौंपना बहुत बड़ी बात है।
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