भ्रष्ट लोगों पर तेज व कठोर हो कानूनी कार्रवाई

Corruption

किसी वक्त भारत सोने की चिड़िया थी और आज भी है, लेकिन भ्रष्टाचार ने इस सोने की चिड़िया को निगल लिया है। विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी तीन आर्थिक अपराधियों के कारण आज देश के बैंकों को 22000 करोड़ से अधिक रुपए का घाटा हुआ है। यह पैसा बैंकों के कुल घाटे का 40 प्रतिशत है। आखिर ईडी ने इन आरोपियों की 904105 करोड़ की जायदाद को जब्त किया है। यदि आम व्यक्ति ने बैंक का 100 रुपये भी देना होता है तो कई वर्षों तक ब्याज लगाकर 1000-2000 बन जाता है और अंत में उक्त व्यक्ति को राशि देकर ही बैंक से पीछा छुड़ाना पड़ता है लेकिन विडंबना है कि केवल तीन व्यक्ति कैसे पूरे देश को मूर्ख बनाकर देश की नजरों से बचकर विदेश भाग गए। दशकों से निर्बाध रूप से चली आ रही यह धोखाधड़ी इसीलिए इतनी फलती-फूलती रही कि इन बैंक लुटेरों या चोरों को पकड़ना जिनका कर्त्तव्य था, शायद वो स्वयं इस लूट का एक हिस्सा डकारकर इन दुष्कृत्यों को प्रोत्साहन देते रहे।

भले ही केंद्र सरकार ने आरोपियों को भारत लाने की कोशिशें जोरों पर हैं, लेकिन देश का जो नुक्सान हुआ उसकी पूर्ति करना संभव नहीं। सरकार नहीं चाहती कि इस मामले में देरी हो, क्योेंकि देश काफी लंबे समय से उक्त तीनों अपराधियों का इंतजार कर रहा है। हैरानी है कि बैकिंग सिस्टम की शुरूआत जनता व सरकारों की बेहतरी के लिए की गई थी लेकिन भ्रष्ट लोगों ने बैंकों को विशेष तौर पर सरकारी बैंकों को लूट का अड्डा समझ लिया है। बैंकों का सुरक्षित पैसा देश की खुशहाली का आधार है। यह भी हैरानी की बात है कि जिन बैंक अधिकारियों ने विजय माल्या, मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन दिए और वो आज भी देश में बैठे हैं, उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हो रही। बैंक अधिकारी भी तब तक चुप रहे जब तक आरोपी देश में थे। बैंक प्रबंधन एवं स्टॉफ की जिम्मेवारी है कि वो धन से ही नहीं बल्कि ईमानदारी से बैंक सिस्टम को मजबूत बनाए।

इससे बैंक का पैसा सही लाभपात्रियों को भी मिलेगा, देश का विकास भी होगा। भ्रष्ट अधिकारी भ्रष्टाचार की जड़ हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है। घोटालेबाजों की सम्पत्ति जब्त करने और उन्हें देश वापस लाकर कानून के कटघरे में खड़ा करने के लिए एक विशेष तंत्र बनाने की जो कवायद की जा रही है, वह तेजी से बने। बैंकों की कार्यप्रणाली में शुचिता लाने और लोगों का भरोसा बैंकों के प्रति बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा तत्काल प्रभाव से सख्त कदम उठाया जाना जरूरी है। आज इस बात की सख्त जरूरत है कि बैंकिंग व्यवस्था को पेशेवर व पारदर्शी बनाने के लिए बैंकिंग धोखाधड़ी के मामलों में उच्च पदों पर बैठे बैंक अधिकारियों की न केवल जिम्मेदारी तय की जाए बल्कि बैंकों को होने वाले ऐसे नुकसान की भरपाई भी उन्हीं से करने की पहल की जाए।

 

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