सच कहूँ/राजू ओढां। देश में वैसे तो सांपों की करीब 270 प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन कोबरा सांप का नाम सुनते ही कंपकंपी छूट जाती है। कहावत भी है कि कोबरा का काटा हुआ पानी नहीं मांगता। लेकिन एक युवक को कोबरा सांपों को वश में करने में जरा सी भी झिझक नहीं है। यही कारण है कि इस युवक को क्षेत्र मेें ‘स्नेकमैन’ के नाम से जाना जाता है। ये युवक न केवल लोगों की जिन्दगी बचा चुका है अपितु लोगों से भी इन जानवरों की जिन्दगी बचाते हुए उन्हें आबादी से दूर जंगलों में छोड़ चुका है। एक कॉल आते ही ये युवक अपनी बाईक उठाकर किसी की जिन्दगी बचाने के लिए निकल पड़ता है। हरियाणा में सरसा जिले के गांव माधोसिंघाना निवासी सहदेव नामक युवक से ‘सच-कहूँ’ संवाददाता राजू ओढां ने बातचीत की तो उसने अपने इस हुनर की बात ब्यान की।
6 प्रजातियां हैं सबसे खतरनाक
वैसे तो भारत में साँपों की करीब 270 प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन इनमें से लगभग 50 प्रजातियां ही विषैली हैं। इन प्रजातियों में से मुख्यत: 6 प्रजातियों के सांप सबसे जहरीले होते हैं। जिनमें इंडियन कोबरा, करेत, रसेल वाइपर, पिट वाइपर, सॉ-स्केल्ड वाइपर व द किंग कोबरा आदि की प्रजातियां शामिल है।
परिजन बोले : ये कैसा काम शुरू कर लिया
सहदेव ने बताया कि शुरूआत में उसके माता-पिता व पत्नी ने उसे इन जानवरों के निकट न जाने के लिए कहा, लेकिन जब उसने ये कार्य नहीं छोड़ा तो उन्होंने उसे टोकना ही छोड़ दिया। सहदेव के माता-पिता ने बताया कि उन्हें हर वक्त अपने बेटे की चिंता रहती है। लेकिन वह सुनता ही नहीं। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जरा-सी भी चूक हुई तो जिंदगी से हाथ धोना पड़ सकता है। सहदेव के मुताबिक उसे किसी जानवर की जिंदगी बचाकर आत्मिक संतुष्टि मिलती है।
नहीं मिला प्रशासन से कोई सहयोग
दिहाड़ी-मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाला सहदेव पिछले 12 वर्षांे से अपनी जान-जोखिम में डालकर जीव-जंतुओं की जान बचाकर सराहनीय कार्य कर रहा है, लेकिन अफसोस कि अभी तक न तो कभी उसे कोई सम्मान मिला और न ही कभी किसी तरह का सहयोग। जबकि विशेष मौकों पर अनेक लोग प्रशासन से सम्मानित होते रहे हैं।
- सहदेव ने कहा कि संबंधित विभाग में उसे कोई छोटा-मोटा रोजगार मिल जाए तो वह यह कार्य भी करता करेगा और उसके परिवार का भरण-पौषण भी होता रहेगा।
- क्योंकि किसी का फ ोन आने के बाद उक्त युवक की दिनभर की दिहाड़ी भी छूट जाती है।
स्कूली वक्त में मिली प्रेरणा
31 वर्षीय सहदेव ने बातचीत में बताया कि दिहाड़ी-मजदूरी ही उसका पेशा है। जब वह पढ़ता था तो उस समय स्कूल में एक सांप निकल आया था। सभी उसे मारने की कोशिश करने लगे। लेकिन उसने सांप को बचाकर वहां से निकाल दिया। इसके अलावा एक बार उनके पुराने घर में एक सांप निकला। जिसे जब उसने बचाकर आबादी से दूर छोड़ना चाहा तो वह कई बार छोड़ने के बावजूद भी उसके निकट आकर बैठ गया। उसके बाद से उसे इन जीवों से कभी भय नहीं लगा। सहदेव ने बताया कि वह जब दिहाड़ी-मजदूरी पर निकलता है तो उसके पास कहीं-न-कहीं से फोन आ जाता है कि उनके घर या आॅफिस में सांप घुस आया।
- जिसके बाद वह उसे पकड़ने के लिए पहुंच जाता है।
- वह इस कार्य के बदले किसी से कोई पैसा नहीं लेता।
- इससे न केवल लोग भयमुक्त हो जाते हैं अपितु उक्त जानवर को लोगों से बचाते हुए डिब्बे में डालकर आबादी से दूर छोड़ आता है।
हजारों जहरीले जानवरों की बचा चुका है जान
सहदेव पिछले करीब 12 वर्षांे से ये कार्य कर रहा है। अब तक वह हजारों जहरीले जानवरों को पकड़कर आबादी से दूर छोड़ चुका है। जिनमें कोबरा व जहरीली छिपकली सहित अन्य प्रजातियों के जानवर व सांप शामिल हैं। सहदेव के मुताबिक सांपों की 200 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें कई सांप ही अधिक जहरीले होते हैं। काफी सांप ऐसे होते हैंं जिनके काटे जाने से मृत्यु नहीं होती।
- सहदेव ने बताया कि विष उगलना इन जानवरों का स्वभाव है, लेकिन ये तभी काटते हैं जब उन्हें खतरे का आभास हो या इनसे कोई छेड़छाड़ की जाती है।
- उसने लोगों से आहवान किया कि इन जानवरों को मारने की वजाए आबादी से दूर करने की कोशिश करें।
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