कुछ बच्चों में देने की आदत जन्मजात होती है। उन्हें इसे सिखाना नंहीं पड़ता, लेकिन कुछ बेहद खुदगर्ज प्रवृत्ति लिए पैदा होते हैं। वे अपनी चीज किसी के द्वारा छू भर देने से हंगामा मचा देते हैं। जमीन में पसर जाते हैं। गला फाड़कर चिल्लाने, हाथ-पैर पटकने लगते हैं। यह अच्छी बात भले ही न हो मगर ऐसा होता है। फिर बच्चे तो बच्चे हैं कच्ची मिट्टी की तरह अनपढ़। उन्हें अच्छी बातें कभी प्यार से समझाकर या कभी नाराज होकर सिखलाना पालकों का फर्ज है। जो बच्चे शुरूआत से ही अपनी चीजें खिलौने इत्यादि बांटना सीख लेते हैं वे बड़े होकर संतुलित व्यस्क बनते हैं।
उनका व्यक्तित्व उनके इस गुण से आकर्षक पसंद किये जाने वाला बनता है। कैसे डालें बच्चे में मिल बांटने का गुण, शेयरिंग का मानवीय सदगुण? यह काम इतना आसान और झटपट होने वाला नहीं है। इसके लिए समझदारी, धैर्य और लगातार प्रयत्न की जरूरत है। निम्नलिखित तरीके आजमा कर देखें।
खेल-खेल में:- आपने बच्चे को कुछ बिस्किट्स, टाफी आदि देकर उसे कमरे में मौजूद घरवालों या मेहमानों को बांटने के लिए कहें। आप देखेंगे यह बच्चों को बहुत अच्छा लगेगा। इसमें इसका अहं तुष्ट होगा और आत्म-विश्वास बढ़ेगा। वो यह खेल बार-बार खेलना चाहेगा।
गिफ्ट दें और देना सिखाएं:– बच्चे को समय-समय पर गिफ्ट दें। जरूरी नहीं कि गिफ्ट महंगे ही हों। कुछ हाथ से तैयार चीजें भी हो सकती हैं। बच्चा भी अनुसरण करेगा। बाद में हो सकता है कि वो आपको अचानक गिफ्ट दे। इसका अपना मजा होता है। बच्चे को बांटने का महत्त्व समझ में आने लगेगा।
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