छोटी आयु में ही मानवता की भरपूर सेवा कर सतगुरू से ओढ़ निभा गए सतब्रह्मचारी गुरजंट सिंह इन्सांं

Gurjant-Insan

सतगुरू के प्रेम में 13 वर्ष की आयु में ही डेरा सच्चा सौदा आ गए थे गुरजंट इन्सां

सरसा (सच कहूँ न्यूज)। ‘‘सौखी प्रीत लगानी है, ओखी तोड़ निभानी है…’’ डेरा सच्चा सौदा के ग्रंथों में लिखी ये पंक्तियां जीवन का सार हैं। सतगुरू से सच्ची प्रीत लगाना भाव रूहानियत और इंसानियत के लिए आगे चलना शुरू करना आसान है, लेकिन उसे अंजाम तक यानि तोड़ निभाना बहुत मुश्किल है। लेकिन 45 वर्षीय सतब्रह्मचारी गुरजंट इन्सां ने सच्ची प्रीत लगाई और तोड़ भी निभाई। गुरजंट इन्सां शनिवार को सचखंड जा विराजे। वे पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। गुरजंट इन्सां मौजूदा समय में डेरा सच्चा सौदा के बुधरवाली आश्रम में सेवा निभा रहे थे।

उनको प्यार से काला काला जण्टा भी कहते थे। गांव आदमपुरा, जिला बठिंडा निवासी गुरजंट सिंह का पूरा परिवार डेरा सच्चा सौदा से जुड़ा है। गुरजंट के पिता कपूर सिंह और माता गुरदेव कौर हमेशा इंसानियत और रूहानियत की ओर प्रेरित करते। जिस कारण उनमें सतगुरू के प्रति प्रेम और सेवा की प्रबल भावना छोटी आयु में जागृत हो गई और अपनी इसी भावना और प्रेम के चलते वे 13 वर्ष की आयु में डेरा सच्चा सौदा में आ गए। 12 नवंबर 1976 को जन्में गुरजंट सिंह 10वीं पास थे। और खेती-बाड़ी में काफी रूचि रखते थे।

गुरजंट इन्सां के सहयोगी सत ब्रह्मचारी सेवादार बताते हैं कि गुरजंट हमेशा सतगुरू की ही बातें और साध-संगत की भलाई के लिए ही सोचते थे। वे पूज्य गुरु संत डॉ.गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की प्रेरणा से दूसरों को भी इंसानियत के कार्यों को बढ़-चढ़कर करने के लिए प्रेरित करते थे। डेरा सच्चा सौदा की प्रबंधकीय समिति के सदस्यों, 45 मैंबर, अलग-अलग राज्यों के 45 मैंबर कमेटी मैंबरों व साध-संगत ने गुरजंट सिंह इन्सां के निधन पर शोक व्यक्त किया है।

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