इस बात में कोई दो राय नहीं कि स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी पूरी कैबिनेट देश सेवा में पूरी ईमानदारी व कर्मठता से लगे हुए हैं, लेकिन पी.एम. केयर फंड पर उठ रहे सवाल प्रधानमंत्री एवं उनकी पी.एम. केयर फंड की ट्रस्टी टीम की छवि को ठेस पहुंचा रहे हैं। पीएम केयर फंड पर गुजरात के विजय पारीख ने ताजा सवाल खड़े किए हैं। विजय ने पिछले साल देशसेवा में पी.एम. केयर फंड में करीब अढ़ाई लाख रुपये दान किए थे कि देश में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए हस्पतालों को इससे मदद पहुंचे। विजय के जैसे लाखों-करोड़ों भारतीयों ने दान कर पी.एम. केयर फंड को अरबों रुपया उपलब्ध करवाया, वह भी तब जब सरकार ने पूर्व में स्थापित प्रधानमंत्री राहत कोष एवं राष्टÑीय आपदा प्रबंधन कोष से अलग हटकर पी.एम. केयर स्थापित किया। विपक्षी दलों ने अनेकों बार पी.एम. केयर को अलग से बनाए जाने की वजह पूछी है, परन्तु सरकार ने भी इस पर सही जवाब नहीं दिया।
विपक्षी दलों का आरोप भी है कि पीएम केयर का पैसा प्रधानमंत्री व भाजपा अपने निजी स्वार्थ साधने के लिए खर्च कर रहे हैं, जबकि ये देश का पैसा है देश को इसका हिसाब दिया जाए। क्योंकि विजय पारिख ने भी सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए ट्वीट किया है, जिसमें उन्होंने अपने पीएम केयर में दान की रसीद पोस्ट कर, अपनी माँ को अस्पताल में एक बेड नहीं मिलने पर तंज कसा है कि वह और कितना पैसा दान करे ताकि भविष्य में उसके बाकी परिवार को ईलाज मिल सके। जबकि बेड नहीं मिलने के चलते दूसरे लाखों भारतीयों की तरह विजय पारिख की माँ भी कोरोना से ज़िंदगी की जंग हार गर्इं। कोरोना की आफत में सरकार से ज्यादा धार्मिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं, विदेशों ने भारत को आॅक्सीजन, उपकरण, दवाएं, वेंटीलेटर, पीड़ितों को खाना आदि मुहैया करवाये, तब जाकर कहीं भारतीय कोरोना से लड़ने की स्थिति में आए।
सरकारी अधिकारियों, कर्मचारियों, नर्सेंज, डॉक्टर्स ने सरकार से काम के लिए ओवरटाइम तो मांगना दूर उलटे अपनी तन्ख्वाहें भी दान कर दीं ताकि देश कोरोना से बच सके। सरकारी के अलावा देश में निजी क्षेत्र की एल एण्ड टी जैसी कंपनियों ने सैकड़ों करोड़ रुपया दान किया है, जबकि इन दान दाता कम्पनियों के कर्मचारी अपनी तन्ख्वाहें पाने की जद्दोजहद कर रहे हैं। एलआईसी, आरबीआई, एसबीआई, सेना आदि बड़े सरकारी निगमों, प्रतिष्ठानों व संगठनों ने पी.एम. केयर को दान दिया है। पी.एम. केयर की हालांकि आॅडिट सार्वजनिक की जाती है कि कितना धन देश-विदेश से दान में मिला है परन्तु दान देने वाले बहुत से दान दाताओं के नाम सार्वजनिक नहीं किए जा रहे। अगर सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत जानकारी पाने की कोई चेष्टा करता भी है तब उसे जवाब मिलता है कि पी.एम. केयर फंड सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत सूचना न देने के लिए छूट प्राप्त है। पी.एम. केयर फंड में गिनाई जा रही खामियों को दूर किया जाए। धन से जरूरी देश का भरोसा है, जो टूटना नहीं चाहिए।
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