बिगड़ैल ऊंट से जान बचाई

एक बार अमरपुरा धाम में गांव महमदपुर के एक जमींदार भाई ने आकर पूज्य शाह मस्ताना जी महाराज को बताया कि मैं अकेला अपने ऊंट के साथ खेत में काम कर रहा था। अचानक मेरे बिगड़ैल ऊंट ने मुझ पर जानलेवा हमला कर दिया। मैं डर गया क्योंकि मौत सामने दिखाई दे रही थी। उठक-पटक के दौरान मैंने ऊंट की गर्दन अपने दोनों हाथों से पकड़ रखी थी। मैंने प्रार्थना की कि सच्चे सौदा वाले तेरा ही आसरा है, तू मुझे बचा। उसी समय मेरी पुकार सुनकर पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज मुझे बचाने के लिए डंगोरी हाथ में लिए आ गए। ऊंट शांत हो गया और उसने मुझे छोड़ दिया। इस पर आप जी ने फरमाया, ‘‘अंदर परमेश्वर बैठा है उसने जान बचाई है।’’

 

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