शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित मुद्दों पर दिलाया ध्यान
सच कहूँ/अनिल कक्कड़ चंडीगढ़। प्रदेश में तेजी से फैल रही कोरोना महामारी और किसान आंदोलन के मद्देनजर पूर्व सीएम एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नाम एक खुला पत्र लिख कर सरकार की नीतियों, तैयारियों और ढीले सिस्टम की आलोचना की है। वहीं सरकार को विभिन्न सुझाव दिए हैं।
भूपेन्द्र हुड्डा ने लिखा कि प्रजातंत्र में सरकार लोगों द्वारा चयनित एक ऐसी संस्था है, जो उनकी सुख-समृद्धि, सुरक्षा तथा समाज में शांति व सौहार्द की व्यवस्था करती है। इस शासन पद्धति में सरकार के पास सर्वोच्च शक्ति ही नहीं होती बल्कि उसके ऊपर जिम्मेवारियां भी सबसे बड़ी होती हैं। मुझे बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकी सरकार उन जिम्मेवारियों का निर्वहन करने में पूर्णतया विफल साबित हुई है। फलस्वरूप जनता का विश्वास खो चुकी है। आपकी सरकार में संवेदना, संवाद और सरोकार की कमी है, जिसकी कीमत हरियाणा की जनता चुका रही है।
किसानों की समस्या का समाधान जल्दी हो
हुड्डा ने पत्र में लिखा कि हरियाणा-दिल्ली की सीमाओं और प्रदेश के अन्य स्थानों पर हजारों किसान नए कृषि कानूनों के विरूद्ध पिछले 6 महीनों से सत्याग्रह कर रहे हैं। कोरोना महामारी के दूसरी लहर के ग्रामीण अंचलों में अनपेक्षित प्रसार, गहनता और विस्तार तथा वहां चिकित्सा सेवाओं के अभाव के मद्देनजर किसानों की समस्या का समाधान शीघ्रतिशीघ्र होना अनिवार्य है। अन्यथा सरकार द्वारा इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए किए जाने वाली कोशिशें सफल नही होंगी।
अपने पत्र के अंत में हुड्डा ने सीएम को कहा कि, मुख्यमंत्री जी, असहमति या मतभेद का अर्थ टकराव या मन भेद नहीं होता। प्रजातंत्र में यह लाजमी है। लोकतंत्र में लोगों के सिरों को गिना जाता है, उन्हें फोड़ा नहीं जाता। आप स्वीकार करें कि हम सबको मिलकर इस महा संकट का दृढ़ता तथा सहजता से सामना करना है।
‘तूफाँ है तेज, कश्तियां भंवर में है,
सबको मिले किनारा, आओ मिलकर दुआ करें।’
हुड्डा ने पत्र के अंत में लिखा कि मुख्यमंत्री जी आप इस महामारी की सुनामी में प्रदेश के लोगों की जीवन नैया के नाविक है। आपकी इस भूमिका व आपके प्रयासों का लेखा-जोखा आने वाली पीढ़ियां करेंगी। मैं संकट की इस घड़ी में आपके सद्प्रयत्नों की सफलता की कामना करता हूँ।’
ये दिए सुझाव-
1 . स्वास्थ्य ढ़ांचे के साथ-साथ राज्य में शिक्षा का ढ़ांचा भी चरमरा गया है। हम आने वाली पीढ़ियों के शैक्षिक, बौद्धिक मनो-वैज्ञानिक तथा चारित्रिक विकास की अनदेखी नहीं कर सकते। प्राइवेट संस्थाओं में हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। सरकारी विद्यालयों में ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने की संरचनात्मक व्यवस्था नहीं है। इस क्षेत्र के लिए भी शिक्षाविदों, शिक्षा प्रबंधकों की विशेष समिति बनाने की आवश्यकता है, जो संक्रमण काल में बच्चों की शिक्षा का सुचारू प्रबंध करने के लिए काम करें।
2. दवाइयों व आक्सीजन की कालाबाजारी तथा अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार को रोके।
3. वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। इस बारे में पहले ही संपूर्ण तैयारी की जाए। पर्याप्त संसाधन जुटाने के कदम तुरंत उठाए जाएं।
4. शेर भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। अत: प्रदेश में पशुधन को बचाने के लिए भी एहतियाती कदम उठाए जाएं।
5. समाज के गरीब, मजदूर व कमजोर वर्गों के लिए विशेष पैकेज तैयार कर लागू किया जाए। अस्थाई रोजगार सृजन कर उनकी आय सुनिश्चित की जाए ताकि उन्हें भोजन व आवश्यक वस्तुओं की कठिनाई न हो।
6. ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर महामारी के कुप्रभाव का आकंलन करने के लिए एक विशेष समिति बनाकर उनको सभी प्रकार की राहत पहुचाएं।
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