बच्चों व किशोरों की सुरक्षा आवश्यक

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कोरोना की महामारी, बाजार, स्कूल बंद हैं, गर्मी में दिन भी बहुत बड़े हैं, हर घर में व्यस्क अपने काम-काज या परिवार के स्वास्थ्य को लेकर चिंता में या अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। यह वक्त बच्चों व किशोरों के लिए बेहद सतर्कता रखने का है। खास कर गांवों में यहां पर बच्चों को खेतों, खलिहानों, जोहड़, तालाबों या नहरों-नदियों के आस-पास मंडराना या खेलना अच्छा लगता है। बच्चों व किशोरों का जीवन चंचल एवं नादानी भरा होता है, जिस कारण अगर बड़ों का ध्यान न रहे, तब वो बड़ी मुसीबत में घिर जाते हैं, कई अभागे बच्चे विकलांग तक हो जाते हैं या जान गंवा बैठते हैं। अभी पंजाब के लुधियाना के पास एक गांव में चार बच्चे दोपहरी में घर वालों से आँख बचाकर नहर पर नहाने चले गए, तैराकी न आने के चलते डूब गए। बच्चों से दुर्घटना की खबरें अन्य स्थानों से भी आ रही हैं।

कहीं बच्चों को आवारा पशुओं या कुत्तों ने घायल कर दिया या बच्चों ने खेल-खेल में एक-दूसरे की जान ले ली। चूंकि स्कूल बंद हैं। आॅनलाइन कक्षाएं समाप्त हो जाने पर बच्चों को उनके मनचाहे खेल खेलने की इच्छा रहती है, बच्चों को पूरा दिन पढ़ने के लिए भी नहीं का जा सकता। अत: समाज एवं सरकार के लिए यह एक चुनौती के जैसा है कि बच्चों को वर्तमान महामारी में किस तरह संभाला जाए। बच्चों को कभी भी बच्चा समझ कर टाला नहीं जाए। उनकी आवश्यकताओं को गौर से सुना व समझा जाए, व्यस्कों का दायित्व है कि वह बच्चों को अड़ोस-पड़ोस में मिलकर संभालें, क्योंकि छोटे परिवार होने की वजह से बच्चों पर अकेले माँ या पिता अब मुस्तैदी नहीं रख पाते। घरों, मोहल्लों में बच्चों व किशोरों को छोटे-छोटे काम दिए जाएं ताकि उनका मन लगा रहे। छोटे कामों में गमलों के पौधों को पानी देना, पालतू पशु जैसे कुत्ते-बिल्ली या गाय-भैंस के बच्चों को खाना-पानी देना, ऐसे काम बच्चे बहुत खुश होकर करते हैं और नजरों के सामने रहते हैं।

इंडोर खेलों में व्यस्त रखना, टीवी डिश रिचार्ज रखा जाए ताकि बच्चे उसमें व्यस्त रहें। या बच्चों के एक-एक, दो-दो के ग्रुप बनाकर खुले में खेलने देना और उन पर नजर रखना, इस वक्त में जो भी व्यस्क स्वस्थ हैं और उन्हें कोई काम भी नहीं है, तब वह खुद भी बच्चों के साथ खेलों में शामिल हों। इस तरह से यहां बच्चों का वक्त सुरक्षित गुरजेगा, वहीं बड़ों को भी आर्थिक, स्वास्थ्य व सामाजिक पीड़ा का अनुभव नहीं होगा। राज्य एवं केन्द्र सरकारों को चाहिए कि वह देश के करोड़ों बच्चों एवं किशोरों के हित में कुछ शैक्षिक एवं मनोरंजक गतिविधियों का सृजन करें, जैसा कि बच्चों व किशोरों द्वारा घर बैठे पेंटिंग बनाकर भेजना, स्लोगन तैयार करना, घरों में हो सकने वाले आसान कार्य पक्षियों को रोजाना दाना-पानी रखने की प्रतियोगिता दी जा सकती है, जिसको करते हुए सोशल मीडिया पर डालकर बच्चे एवं किशोर अपने आपको व्यस्त रख सकें व सीख सकें, सुरक्षित रहें व देश समाज खुश रहे।

 

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