चित्रकूट (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल में शुक्रवार को हुयी गैंगवार में कुख्यात अपराधी मुकीम काला समेत तीन दुर्दांत मारे गये। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुका मुकीम काला चित्रकूट जेल में बंद था जिसका जेल में अंद एक अन्य अपराधी अंशु दीक्षित से किसी बात को लेकर विवाद हो गया था। इस बीच अंशु ने मुकीम काला और उसके साथी मेराजुद्दीन की हत्या कर दी।
जेल में हुयी इस दुस्साहसिक घटना के बाद पुलिस ने अंशु को आत्मसमर्पण करने को कहा मगर उसके पुलिस पर गोली चलानी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में वह भी पुलिस की गोली से मारा गया। अंशु दीक्षित पश्चिमी यूपी का कुख्यात अपराधी है। बताया जा रहा है कि उसने कालिया को मारने की सुपारी ली थी। इसे अंजाम देने के लिए उसने सेटिंग से चित्रकूट जेल में अपना ट्रांसफर करवाया था।
सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का मूल निवासी अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र के रूप दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया। वर्ष 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पकड़ा गया था। अंशु दीक्षित को 2019 में दिसंबर में सुल्तानपुर जेल में वीडियो वायरल होने के बाद चित्रकूट जेल भेजा गया था।
काला ने पानीपत में भी वारदात को दिया अंजाम
मेराजुद्दीन बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी का खास गुर्गा था जिसे बनारस जेल से हाल ही में यहां भेजा गया था। मुकीम काला वही अपराधी है जिसमें एनआईए ऑफिसर तंजील अहमद की दिन दहाड़े हत्या कर दी थी। कैराना समेत आसपास के इलाकों में आतंक का पर्याय बना कुख्यात मुकीम उर्फ काला छह साल पहले अन्य मजदूरों के साथ मकान निर्माण में चिनाई मिस्त्री के साथ मजदूरी करता था। मुकीम काला ने पहली वारदात हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती के रूप में अंजाम दी। इस मामले में मुकीम काला जेल गया था।
उसके बाद उसने अपराध की दुनिया में अपने कदम आगे बढ़ा दिए। मुकीम काला का खौफ वेस्ट यूपी के अलावा हरियाणा के पानीपत और उत्तराखंड के देहरादून में भी फैला है। मुकीम का गैंग पुलिस के रडार पर तब आया जब इन्होंने पुलिस पर भी हमले करने शुरू कर दिए। पुलिस के अनुसार, दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया जिसके बाद मुस्तकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाल कर वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया।
मुकीम काला के गैंग में डेढ़ दर्जन से अधिक बदमाश शामिल रहे और उन्होंने ताबड़ोड़ दो वर्षों में ही हत्या, लूट, रंगदारी समेत कई जघन्य वारदातों को अंजाम दे दिया। मुकीम काला ने अपने साथियों के साथ एक के बाद एक कई वारदात किए, लेकिन कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पुलिस ने उसे कई बार पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गया। पिछले साल अक्तूबर में पुलिस ने मुकीम काला को उसके साथी साबिर के साथ गिरफ्तार किया।शामली पुलिस के अनुसार, मुकीम काला को गिरफ्तार करने के बाद सहारनपुर जेल में रखा गया था। लेकिन बाद में उसे महाराजगंज जिले की जेल में और बाद में चित्रकूट जेल भेजा गया।
पुलिस ने अंशुल दीक्षित को गोली मारकर किया ढेर
पुलिस के अनुसार, वर्तमान में मुकीम काला पर करीब अलग-अलग थानों में करीब 61 अपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। मुकीम काला गिरोह का काम लूट, हत्या, डकैती और जबरन रंगदारी वसूलना है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मुकीम और मेराजुद्दीन की हत्या के बाद जेल में और पुलिस फोर्स पहुंची तो सिपाहियों ने अंशु दीक्षित की घेराबंदी कर सरेंडर करने के लिए कहा लेकिन वह पुलिसवालों पर फायरिंग करता रहा। जवाबी कार्रवाई कर पुलिस ने अंशुल दीक्षित को गोली मारकर ढेर कर दिया है।
जेल छावनी में तब्दील
मारा गया बदमाश मुकीम सहारनपुर जेल से ट्रांसफर होकर आया था जबकि मुख्तार का गुर्गा मेराज बनारस से लाया गया था। बताया जा रहा है कि अंशु दीक्षित ने मुकीम, मेराज के अलावा तीन अन्य कैदियों पर हमला किया था। हालांकि अभी अधिकारियों ने पुष्टि नहीं की है। जेल को छावनी में तब्दील कर दिया गया है। जेल की सुरक्षा में इतनी बड़ी सेंध कैसे लगी। यह भी अफसर बताने को तैयार नहीं है। बदमाश अंशु दीक्षित के पास पिस्टल कहां से आई। यह एक बड़ा सवाल है।
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