सच कहूँ/ सुनील वर्मा सरसा। अंकल अब तो आपकी सेहत में पहले से बहुत ज्यादा सुधार है। भईया समय से दवाई खाते रहना। माता जी आप ऐसे पेट के बल लेट जाइए। आप सभी ने खाना और काढ़ा तो ले लिया है ना। अच्छा! अब सभी थोड़ी देर भगवान के नाम का जाप करेंगे। अरे! आप उठिए मत, आपको पानी चाहिए, मैं पिलाती हूँ। अगर आपको किसी चीज की जरूरत है तो मुझे बताइए।
कोरोना संक्रमित मरीजों के बीच ड्यूटी दे रही नर्स के मुंह से निकले ये शब्द उन लोगों के लिए सीख हैं, जो आज इस बेहद मुश्किल वक्त में अपने माता-पिता और भाई-बहन तक से किनारा कर रहे हैं। ये कोई कहानी नहीं है, बल्कि स्थानीय शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के कोविड सैंटर की हकीकत है। यहां डॉक्टर और नर्सें दिन-रात एक करके जानलेवा वायरस की जद में आए मरीजों का जीवन बचाने में अहम् योगदान दे रहे हैं। ये इनके नि:स्वार्थ सेवा भाव और कर्तव्यपरायणता का ही फल है, जिसकी बदौलत यहां कोरोना संक्रमित मरीजों का रिकवरी रेट अन्य अस्पतालों से कहीं ज्यादा है। कोरोना की भयावह दूसरी लहर रोजाना हजारों लोगों का जीवन लील रही है। चिंता की लकीरें आमजन के मनस पटल से उतर नहीं रहीं हैं। हालात इस कदर बदतर हो गए हैं कि अपने-अपनों की अर्थी तक को कंधा देने तक से कतरा रहे हैं।
संक्रमित मरीजों को अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सहित तमाम सुविधाओं का टोटा झेलना पड़ रहा है। इसी मुश्किल दौर में शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के कोविड सेंटर में अस्पताल के डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के 54 सदस्य अलग-अलग शिफ्टों में दिन-रात सेवाएं देकर कोरोना के खिलाफ जंग में योद्धा बनकर डटे हुए हैं और मरीजों का अमूल्य जीवन सुरक्षित कर रहे हैं। अस्पताल में जनरल व आईसीयू अलग-अलग वार्ड बनाए गए हैं। इसमें सुबह 8 बजे से 2 बजे तक और सांयकाल दोपहर 2 बजे से रात्रि 8 बजे और रात्रि शिफ्ट में रात को 8 से सुबह 8 बजे तक स्टाफ निरंतर ड्यूटी दे रहा है। एक शिफ्ट में जनरल व आईसीयू वार्ड में 7-7 सदस्यों की ड्यूटी रहती है। वहीं बिजली, अक्षय ऊर्जा एवं जेल मंत्री चौ. रणजीत सिंह और प्रशासनिक अधिकारी भी अस्पताल प्रबंधन की भरपूर प्रशंसा कर चुके हैं।
कोरोना को हराकर फिर ड्यूटी निभा रही नर्स गीता
शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ड्यूटीरत नर्स गीता सच कहूँ से बात करते हुए कहती हैं कि कोरोना की पहली लहर में वे 16 अक्तूबर को संक्रमण की चपेट में आ गई थी। लेकिन उसने हौंसला नहीं हारा और खुद को आइसोलेट करके 17 दिन में कोरोना को हराकर ड्यूटी पर लौट आई। अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं और अपनी निरंतर ड्यूटी कर रही हैं। वे कहती हैं कि कोरोना से घबराने की जरूरत नहीं है। सकारात्मक सोच, नियमों का पालन, सही खान-पान और स्वास्थ्य के प्रति सजगता से इस बीमारी को मात दी जा सकती है। गीता कहती हैं कि हर रोज वे ड्यूटी खत्म कर अपने घर शाह सतनाम पुरा में जाती है। घर जाते ही बच्चों व परिवार से मिलने से पहले अपने कपड़े, जूते उतारकर डिटोल से साफ करती है और फिर दोबारा से स्नान करने के पश्चात ही बच्चों से मिलती हैं।
दवा के साथ बढ़ा रहे मोटिवेशन
कोविड वार्ड की महिला स्टाफ इंचार्ज सोनिया सेठी बताती हैं कि पिछले साल जब कोरोना महामारी फैली तो मेरी ड्यूटी कोविड वार्ड में लगी। लेकिन 14 साल के करियर में पहली बार ऐसी भयानक बीमारी को देख थोड़ा डर लगा था। लेकिन जब कोविड वार्ड में ड्यूटी पर पहुंची तो वहां भर्ती मरीजों की बेबसी से दिल पसीज गया। उनका अकेलापन देख आँखें भर आई।पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने अंदर से हौंसला दिया। तब नियमों को फॉलो करते हुए मरीजों के पास जाने लगी और मन के अंदर पनपा संक्रमण का डर भी भाग गया। अब पूरी ड्यूटी कोरोना संक्रमितों के बीच करते हैं, और अब सब एक परिवार की तरह रहते हैं। सोनिया सेठी कहती हैं कि इस महाबिमारी को मात देने के लिए मरीज का अंदर से मजबूत होना बहुत जरूरी है। इसमें दवा से अधिक मोटिवेशन काम करता है। परमात्मा का नाम इसमें सबसे ज्यादा असरदार है।
73 साल के जयचंद ने सिर्फ पाँच दिन में कोरोना को दी मात
कोरोना संक्रमण के चलते 24 अप्रैल 2021 को फतेहाबाद जिले के गाँव बनवाली सोत्तर निवासी जयचंद (73) को जब शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती करवाया गया तो उनकी हालत बेहद नाजुक थी। उनका बुखार उतर नहीं रहा था और शारीरिक रूप से बिल्कुल निर्बल हो चुके थे। तब अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों ने उनका उपचार शुरू किया। इसके बाद दिन-रात की सार-संभाल और उपचार से जयचंद के स्वास्थ्य में थोड़ा सुधार होने लगा। इस पर नर्स सोनिया सेठी ने जयचंद को नाम सुमिरन करने के लिए प्रेरित किया। जयचंद दिन-रात राम-नाम का सुमिरन करने लगा और सिर्फ पाँच दिन बाद जब उसकी दोबारा जांच की गई तो वह कोरोना को हराकर बिल्कुल स्वस्थ हो चुका था। ये देख अस्पताल स्टाफ व सीएमओ डॉ. गौरव अग्रवाल भी हैरान थे। क्योंकि उन्होंने बिना आॅक्सीजन सपोर्ट के ही इस बीमारी को हरा दिया था।
मायूसी को दूर कर बिखेर रहे मुस्कुराहट
शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल के जनरल वार्ड इंचार्ज विशेश्वर सिंह कहते हैं कि जब कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती होता है तो उसके चेहरे पर एक खौफ और मायूसी साफ झलकती है। तब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के वचनानुसार हमारा काम सबसे पहले उसके चेहरे पर खुशी लाना है। फिर मरीज के साथ अपनत्व व लगाव बढ़ाया जाता है, ताकि वह असहज महसूस न करे। फिर उपचार का क्रम शुरू होता है। वे आगे कहते हैं कि अस्पताल में मरीजों को तीन वक्त सात्विक शुद्ध भोजन दिया जाता है। इसके अलावा चाय व पूज्य गुरु जी द्वारा बताया गया काढ़ा व भाप (गिलोये व नीम के पत्तों की भाप) दी जाती है। साथ ही प्रभु परमात्मा के नाम का जाप करने यानि मेडिटेशन के लिए प्रेरित किया जाता है। क्योंकि जब मरीज का आत्मबल बढ़ जाता है तो वो किसी भी बीमारी को मात देने में सक्षम हो जाता है। वे कहते हैं कि इसी के फलस्वरूप हमारे अस्पताल में कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों का रिकवरी रेट अन्य अस्पतालों से बहुत ज्यादा है।
सुमिरन करने वाले मरीजों के ठीक होने की रफ्तार औरों से तेज
शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल में कोविड वार्ड के आईसीयू इंचार्ज सीताराम कहते हैं कि कोरोना संक्रमण को मात देने वाले मरीजों में सबसे कॉमन बात जो देखने में आई है वो है, उनका प्रभु परमात्मा के नाम का जाप करना। वे बताते हैं कि जो मरीज लगातार सुमिरन भक्ति करते हैं, उनके ठीक होने की रफ्तार अन्य मरीजों के मुकाबले काफी तेज रहती है। वे कहते हैं कि कोविड-19 संक्रमण का डर होना लाजिमी है, लेकिन कई बार अन्य अस्पतालों के बारे में सुना जाता है कि वहां स्वास्थ्यकर्मी मरीजों के पास जाने से कतराते हैं, जोकि सही नहीं है। अगर पूरी सावधानी बरतते हुए मरीजों को उचित उपचार दिया जाए तो हम कोरोना को जल्दी हरा पाएंगे। साथ ही वे कहते हैं कि आमजन कोरोना को हल्के में न ले, ये एक बेहद खतरनाक बीमारी है। इसलिए सरकार की गाइडलाइन का पालन करें।
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