माउंट लहोत्से पर फिर शुरू की चढ़ाई
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अच्छे भोजन, योग और सकारात्मक सोच से महज 10 दिन में हुई स्वस्थ
सच कहूँ/संदीप सिंहमार हिसार। माउंट लहोत्से की चढ़ाई शुरू करने निकली हिसार की पर्वतारोही शिवांगी पाठक की अपने मिशन के दौरान तबीयत खराब हो गई। ऑक्सीजन लेवल 18 पर आ गया, फेफड़ों में पानी भर गया और कोरोना संक्रमण की पुष्टि भी थी, लेकिन अच्छे भोजन, योग और सकारात्मक सोच से महज 10 दिन में कोरोना को हराकर शिवांगी ने दोबारा से अपना मिशन शुरू कर दिया।
शिवांगी पाठक की माँ आरती पाठक व पिता राकेश पाठक ने बताया कि माउंट लहोत्से की चढ़ाई करते हुए शिवांगी की तबीयत अचानक काफी खराब गई। उसका बुखार नहीं उतर रहा और खाना भी नहीं पच रहा है। वो बेस कैंप में 5364 मीटर की हाइट पर थी। अगले दिन एजेंसी वालों का फोन आया कि शिवांगी का रेस्क्यू करवाना पड़ेगा और 19 अप्रैल को सुबह 11 बजे शिवांगी का रेस्क्यू कर उसे काठमांडू हॉस्पिटल लाया गया। उसका ऑक्सीजन लेवल 18 पर आ गया था। जांच में पता लगा कि उसके फेफड़ों में भी पानी भर चुका है। उसे कोरोना संक्रमण की भी पुष्टि 19 अप्रैल को हुई तथा 20 अप्रैल को हम गोरखधाम ट्रेन से शिवांगी के पास शाम को 7 बजे काठमांडू पहुंच गए। वहां उसकी हालत बहुत खराब थी।
आरती ने बताया कि शिवांगी की हिम्मत और जज्बा देखकर हमने उसका आयुर्वेद चिकित्सा की शुरूआत कर उसको एक होटल में ही आइसोलेट करवा लिया, क्योंकि शिवांगी पूर्ण रूप से शाकाहारी है। हमने देसी काढ़ा व सारा ट्रीटमेंट शुरू कर दिया। तीन दिन शिवांगी की हालत बहुत खराब थी, लेकिन चौथे दिन सबकी दुआओं व आशीर्वाद से उसे खाना पचना होना शुरू हो गया और खांसी में भी उसे कुछ आराम आ गया।
उन्होंने बताया कि हमने शिवांगी से मिशन माउंट ल्होत्से को बीच में छोड़कर हमारे साथ भारत वापिस चलने के लिए आग्रह किया, लेकिन वो नहीं मानी। हमने वहीं रह कर लगभग 12 दिन उसकी देखभाल की। वहां के डॉक्टर सम्राट और होटल के सारे स्टाफ की सहायता से शिवांगी 29 अप्रैल तक बिल्कुल ठीक हो गई और उसकी दोबारा से जांच की गई तो उसमें उसके फेफड़ों का इन्फेक्शन भी खत्म हो गया और वह कोरोना नेगेटिव हो चुकी थी।
अगर आपका विश्वास आपका जुनून सच्चा है तो कोई भी तकलीफ आपको अपने मिशन तक पहुंचने से नहीं रोक सकती। अब शिवांगी दोबारा से 8 मई को बेस कैंप पहुंची और अब वह कैंप टू के लिए निकल चुकी है। उन्होंने बताया कि शिवांगी 25 मई तक माउंट ल्होत्से जो कि विश्व की चौथी सबसे ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 8516 मीटर है, उस पर तिरंगा लहराएगी।
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