साथ-साथ चलें सावधानी एवं समाधान

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अब सरकार को भी लग गया है कि कोरोना वायरस की जो दूसरी लहर आई है, वह बहुत घातक साबित हो रही है और इसका अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ रहा है। कोरोना महामारी के बढ़ते कहर में पंजाब सहित कुछ राज्यों में दुकानदार वीकेंड लॉकडाउन का विरोध कर रहे हैं। किसान संगठन भी दुकानदारों का समर्थन कर रहे हैं। उनके जोशीले भाषणों में भावुकता नजर आ रही है। वास्तव में जिस प्रकार कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं उसके मुताबिक कुछ बुद्धिजीवी मुकम्मल लॉकडाउन का भी सुझाव दे रहे हैं किंतु केंद्र व राज्य सरकारें मुकम्मल लाकडाऊन के समर्थन में नहीं,लेकिन असंगठित क्षेत्र की कंपनियों पर कुछ ज्यादा ही असर पड़ा है। आॅटोमोबाइल व अन्य कुछ क्षेत्रों में अनेक छोटी कंपनियों ने अपने काम बंद कर दिए हैं। असर सभी पर है, लेकिन असंगठित क्षेत्र पर ज्यादा है और इसीलिए पलायन भी दिख रहा है। पंजाब और हरियाणा में आरजी लॉकडाऊन के दौरान भी किरयाना, मेडिकल व अन्य आवश्यक वस्तुओं की दुकानें खुलीं रखी गई हैं। ऐसी परिस्थितियों में सरकार व दुकानदारों का टकराव कोई अच्छा संदेश नहीं दे रहा।

वास्तव में आम जनता भी संयम बरत रही है। हरियाणा में पिछले दिनों जब शाम को छह बजे दुकानें बंद करने की घोषणा की थी तब 50 प्रतिशत से भी कम लोग बाजारों में पहुंच रहे थे। सरकार ने दुकानों का समय तो बेशक कम किया था लेकिन आम जनता को बाजारों में जाने की छूट थी, फिर भी लोगों ने अपनी सुरक्षा को देखते हुए घरों में रहना ही मुनासिब समझा। इस मामले में अब सरकारों को कोई नया रास्ता तलाशने की आवश्यकता है, ताकि कारोबार भी ठप्प न हों और सावधानियां भी बरती जा सकें। किसान संगठनों को भी सरकार विचार-विमर्श का निमंत्रण शायद यही उचित व उपयुक्त समाधान है। अब सरकार को आगे आकर इसमें जहां-जहां काम रुक गया, बेरोजगारी बढ़ी है, वहां-वहां मदद करनी चाहिए। गरीब लोगों को इस वक्त मदद की बहुत जरूरत है। मुफ्त अनाज, इलाज जरूरी है। गरीब लोग पिछले साल बड़ी मुसीबत में चले गए थे। उस तरह का संकट अगर फिर आया, तब बहुत ज्यादा परेशानी हो जाएगी। अभी लोग संक्रमण से ही परेशान हैं और जब खाने-पीने का अभाव होगा, तो लोगों की परेशानी बहुत बढ़ सकती है।

दरअसल विगत वर्ष नवंबर से लेकर इस वर्ष फरवरी तक बाजारों में जिस कद्र भीड़ जुटी, उससे यही अनुमान लगाया जा रहा था कि लोगों को जितना सावधान रहने की आवश्यकता थी, लोगों ने उतनी पालना नहीं की। दूसरी ओर पांच राज्यों में हुए विधान सभा चुनावों के दौरान नेताओं ने खूब राजनीतिक रैलियां निकालीं, जिसमें कोरोना के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। जहां तक अब दुकानों का सवाल है कारोबार चालू रखना भी जरूरी है दूसरी ओर मानवीय जीवन उससे भी ज्यादा कीमती है। सरकारों को दुकानें खोलने के लिए कोई ठोस योजना तैयार करनी चाहिए ताकि बीमारी का फैलाव भी रुके और कारोबार भी चल सके। सरकार को गांवों तक मदद पहुंचाने के लिए काम करना चाहिए। लोगों की हताशा-निराशा को दूर करने के लिए सरकार को ही कदम उठाने पड़ेंगे। आरबीआई के कदम कुछ दूर तक कारगर होंगे, लेकिन बाकी सब सरकार को ही करना पड़ेगा।

 

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