नई दिल्ली। कोरोना के भयावह दौर के बीच आमजन की चिंताएं बढ़ाने वाली एक और खबर आ रही है। वो खबर है देश में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारी सरकारें इसको लेकर कितनी गंभीर हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल जब कोरोना देश में आया तो उस वक्त के मुकाबले इस दौर में हमारे देश से दोगुनी आक्सीजन दूसरे देशों को भेजी गई है। जबकि अपने देश में आॅक्सीजन का स्टॉक रखने को लेकर गंभीरता की कमी दिख रही है।
जानकारी के अनुसार 2019-20 में भारत ने तकरीबन 4514 करोड़ रुपये की आॅक्सीजन दूसरे देशों को निर्यात किया था। लेकिन अगर वर्तमान दौर को देखा जाए तो इस वर्ष जब कोरोना ने पूरा विक्राल रूप धारण कर लिया है, ऐसे हालात में देश में अप्रैल से 2021 तक ही 9301 टन आॅक्सीजन दूसरे देशों को निर्यात कर दी गई, जिसकी कीमत लगभग 8.9 हजार करोड़ रुपये बनती है। ये जानकारी खुद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने दी है। इसे लापरवाही कहा जाए या फिर पैसा कमान की हनक।
वर्तमान दौर में मेडिकल ऑक्सीजन कोरोना मरीजों के लिए जीवनदायिनी है। अब केन्द्र सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया है। वहीं सरकारी और निजी कंपनियां भी इस मामले में सक्रिय होती नजर आ रही हैं। गंभीर होते हालात के बीच केन्द्र सरकार ने अब उद्योगों को आॅक्सीजन की सप्लाई पर रोक लगा दी है। अब सिर्फ नौ इंडस्ट्रीज को ही ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा सकेगी। एक राहत की बात ये जरूर सामने आई है कि औद्योगिक घरानों ने ऑक्सीजन के उत्पादन में रूचि दिखाई है, टाटा स्टील, सेल, जिंदल स्टील और रिलायंस ने आॅक्सीजन की सप्लाई शुरू की है। इसके अलावा सहकारी समिति इफको आॅक्सीजन प्लांट लगाने जा रही है, जहां से नि:शुल्क आॅक्सीजन आपूर्ति की जाएगी।
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