संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार के सुरक्षा बलों से बच्चों के खिलाफ हिंसा से बचने की अपील करते हुए कहा है कि फरवरी में हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से कम से कम 51 बच्चे मारे जा चुके हैं। संरा के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा,“ गत 13 अप्रैल तक, म्यांमार के सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 51 बच्चों को मार दिया गया है और लगभग 1,000 बच्चों को मनमाने ढंग से हिरासत में लिया गया है।”
उन्होंने कहा,“संयुक्त राष्ट्र की देश की टीम सुरक्षा बलों से हिंसा से बचने और बच्चों और युवाओं को नुकसान के रास्ते से बाहर रखने की भी अपील करती है।” संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, म्यांमार की सेना ने एक फरवरी को नागरिक सरकार को उखाड़ फेंका और एक साल की लंबी अवधि के लिए आपातकाल की घोषणा कर दी तथा उसके बाद से अब तक कम से कम 707 लोग मारे गए।
तख्तापलट के पीछे सेना का मकसद क्या है?
म्यांमार में बीते साल नवंबर में आम चुनाव हुए थे. इस चुनाव में सू की की पार्टी को विजय हासिल हुई थी। सेना ने आरोप लगाए थे कि इस चुनाव में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। साथ ही चुनाव आयोग से सार्वजनिक तौर पर अंतिम डेटा सार्वजनिक करने को कहा था। हालांकि, आयोग ने इन सभी दावों को खारिज किया था। विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह से सत्ता हासिल करने की वजह चुनाव में अनियमितता नहीं थी, बल्कि देश को नियंत्रित करने की थी।
म्यांमार में क्यों हो रहे हैं प्रदर्शन?
प्रदर्शनकारी सेना के स्थान पर जनता के हाथ में नियंत्रण देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही वे सू की और अन्य नेताओं की रिहाई चाहते हैं। अपनी जमीन की स्वायत्ता के लिए लंबा संघर्ष करने वाले देश के कई अल्पसंख्यक समुदाय 2008 में सेना के लिखे संविधान को हटाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि लोकतंत्र स्थापित हो। इन प्रदर्शनों में युवा बड़े स्तर पर भाग ले रहे हैं। हालांकि, हड़ताल के चलते कई आम सेवाएं खासी प्रभावित हुईं हैं।
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