20 मई 2003 का जिक्र है कि मैंने अपने ट्रक को अगले दिन अमेरिका लेकर जाना था। मेरा ट्रक घर से बाहर खड़ा था, जिसमें सामान भरा हुआ था। रात का समय था। मैं अपने घर में अर्द्ध निद्रा की अवस्था में लेटा हुआ था। परम पूजनीय दयालु सतगुरू जी ने मुझे एक दृष्टांत दिखाया, जिसमें मैंने देखा कि पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां सफेद रंग के जहाज में बैठे जहाज चला रहे हैं और साथ-साथ अपने पवित्र कर कमलों से जहाज में बैठी साध-संगत को प्रसाद भी दे रहे हैं। जहाज कनाडा की ओर आ रहा है। जब मैंने पूज्य हजूर पिता जी के दर्शन किए तो मुझे अत्यन्त खुशी हुई और उसी समय मैंने अपनी आंखें खोल ली। मैं बहुत ही खुश था कि आज पूज्य हजूर पिता ने मुझ पर खास मेहर की है। उस समय सुबह के दो बजे थे। मुझे बार-बार ख्याल आ रहा था कि ऐसी क्या बात है जो पिताजी की नजर हम लोगों पर टिकी है।
दूसरी तरफ मेरी माता जी तथा मेरे बापू जी को भी पूज्य हजूर पिता जी ने जगा दिया। उन्होंने मुझे बताया कि उन्हें भी नींद नहीं आ रही। उसी समय पूज्य पिता जी ने मुझे ख्याल दिया कि बाहर जाकर अपने ट्रक को देख। मैं अपने ट्रक को देखने के लिए अपने घर से बाहर निकला तो मैंने देखा कि मेरा ट्रक स्टार्ट खड़ा है और कुछ लोग ट्रक का पिछला ट्रेलर (ट्रक की बड़ी ट्राली) निकाल रहे हैं। मुझे यह समझने में बिल्कुल भी देर न लगी कि ये तो चोर हैं, जो ट्रक को भगाकर लेकर जाना चाहते हैं। मैंने उसी समय अपने सतगुरू का ध्यान कर के ‘धन -धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगा दिया। मुझे इतना जोश आया कि मैंने उन्हें पूरी ऊंची आवाज में ललकारा। उन्होंने ट्रक भगा लिया। मैंने अपनी कार उनके पीछे लगा दी और पुलिस को मोबाईल फोन से सूचित कर दिया। मैं ट्रक के पीछे-पीछे जा रहा था। ट्रक जिस ओर जाता, मैं उसी ओर अपनी कार मोड़ लेता। वैसे तो ऐसे चोर लूटेरों के पास हथियार होेते हैं, जिनमें वह पीछा करने वाले को मार भी देते हैं पर सतगुरू जी ने मुझे इतनी ताकत दी कि मुझे उनसे जरा भी भय नहीं लगा। पुलिस ने भी पीछा करना शुरू कर दिया। कुछ दूरी पर जाकर ट्रक एक तरफ मुुड़ गया और मेरी नजरों से ओझल हो गया।
मैं भी इधर-उधर मुड़ा, लेकिन मुझे कहीं भी ट्रक दिखाई नहीं दिया। मैंने एकदम ‘धन -धन सतगुरू तेरा ही आसरा’ का नारा लगा दिया। मुझे सतगुरु जी ने ख्याल दिया कि इधर-उधर घूम कर देखो। जब मैं वापिस मुुड़कर सड़क पर आया तो वहां थोड़Þी दूरी पर ट्रक खड़ा था। इतने में मुझे दो पुलिस वाले मिले तो मैंने उन्हें बताया कि यह मेरा ट्रक है। पुलिस ने ट्रक चैक करने उपरांत मुझे सौंप दिया। जब मैंने घर वापिस लौटकर देखा तो ट्रेलर की सील टूटी हुई थी परंतु उसमें से कोई सामान चोरी नहीं हुआ था। इस प्रकार पूज्य हजूर पिता जी ने अपनी दया मेहर रहमत से ट्रक व उसमें भरे सामान को सही सलामत बचा लिया और कोई भी नुक्सान नहीं होने दिया तथा इसके साथ ही उसे इस बात की भी समझ आ गई कि पूज्य हजूर पिता जी उसे व उसके परिवार को क्यों जगा रहे थे। मैं अपने सतगुरू के एहसानों का बदला कभी नहीं चुका सकता, जो इतनी दूर बैठकर भी हमारी संभाल कर रहे हैं। इस प्रमाण से स्पष्ट होता है कि पूर्ण सतगुरू पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां अपने पास रहने वालों की ही रक्षा नहीं करते बल्कि वे तो सात समुद्र पार भी पहुंचते हैं और अपने शिष्यों की हर संभव सहायता करते हैं। वे उजाड़ों, पहाड़ों, व हर जगह पर सर्व व्यापक व अपने जीव के हर समय पास होते हैं।
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