तीनों कंपनियों को होगा मुफ्त यात्रा से 400 करोड़ का नुक्सान
-
पंजाब सरकार ने बजट में रखे हैं केवल 170 करोड़ रुपये आरक्षित
सच कहूँ/अश्वनी चावला चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने भले ही महिलाओं को फ्री यात्रा की सौगात दे दी है, लेकिन इस निर्णय से सरकारी बसों की हालत खस्ता होने की संभावना है। सरकार के इस निर्णय से पीआरटीसी और पनबस सहित पंजाब रोडवेज को 400 करोड़ रुपए वार्षिक घाटा होगा, क्योंकि सरकार ने बजट में इस घाटे की भरपाई करने के लिए केवल 170 करोड़ रुपए आरक्षित रखे हैं। इस बजट को देखकर इन तीनों ही विभागों के आधिकारियों को पसीने छुटने लगे हैं। इस घाटे से कुछ ही समय में फ्री यात्रा बंद हो जाएगी या फिर इन तीनों ही सरकारी बस कंपनियों का सड़क पर उतरना कठिन हो जाएगा, क्योंकि यह तीनों ही कंपनियां पहले ही घाटे में चल रही हैं।
जानकारी के अनुसार पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने महिला दिवस के अवसर पर प्रदेश भर की महिलाओं को बड़ा तोहफा देने का ऐलान किया था। इसके बाद बजट सत्र में राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने फ्री यात्रा का ऐलान किया था। मनप्रीत बादल ने बजट में 170 करोड़ रुपए आरक्षित रखे थे, ताकि फ्री यात्रा का खर्च प्रदेश सरकार खुद वहन करे। उन्होंने बजट सत्र के बाद यह कहा था कि 170 करोड़ रुपए से तीनों ही सरकारी बस कंपनियों का घाटा पूरा होगा।
आंकड़ों पर एक नजर
सरकार के इस निर्णय के बाद पीआरटीसी और पनबस सहित पंजाब रोडवेज ने घाटे का अनुमान लगाया। अब हालात यह हैं कि पीआरटीसी को हर साल 450 करोड़ रुपए का घाटा होता है और बसों में 40 प्रतिशत महिलाएं यात्रा करती हैं। महिलाओं को फ्री यात्रा देने से 450 करोड़ में से 40 प्रतिशत दर के साथ पीआरटीसी को 180 करोड़ रुपए साल का नुक्सान होगा। इसी तरह पनबस को वार्षिक 487 करोड़ रुपए की आय प्राप्त होती है तो पंजाब रोडवेज की वार्षिक आमदन 57.65 करोड़ रुपए रही है।
इसके अनुसार पनबस को हर साल 195 करोड़ रुपए तो पंजाब रोडवेज को 23 करोड़ रुपए का नुक्सान होगा। इन तीनों ही सरकारी ट्रांसपोर्ट कंपनियों को 400 करोड़ रुपए का नुक्सान होने का अनुमान लगाया गया है। इस 400 करोड़ रुपए में से यदि बजट अनुसार 170 करोड़ रुपए की भरपाई हो जाती है फिर भी इन तीनों ही सरकारी बस कंपनियों को 230 करोड़ रुपए का घाटा होगा।
विरोध में उतरे कर्मचारी
पीआरटीसी और पनबस सहित पंजाब के रोडवेज कर्मचारी सरकार के इस निर्णय के विरोध में उतर आए हैं। उनका कहना है कि आप वैसे ही सरकारी कर्मचारियों को फांसी पर लटका दो, क्योंकि सरकार के इस निर्णय से तीनों ही सरकारी बस कंपनियां घाटे में चली जाएंगी। इससे कर्मचारियों को वेतन सहित अन्य खर्च समय पर नहीं मिलेंगे। यहां तक घाटे के कारण नई भर्ती पर भी रोक लग सकती है, जिस कारण मौजूदा कर्मचारियों पर बोझ बढ़ जाएगा। इसीलिए सरकार बजट अनुमान अनुसार नहीं बल्कि मुकम्मल घाटे के अदायगी करे नहीं तो अपना फैसला वापिस ले।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।