अनुकरणीय उदाहरण पेश कर रहे सेवानिवृत कर्मचारी भूप सिंह
-
एक रूपया, नारियल के साथ करते हैं शादी
सच कहूँ/राजू ओढां। शादी का नाम आते ही दहेज के रूप में दिया जाने वाला खर्च सामने आ जाता है। लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दहेज प्रथा का न केवल विरोध करते हैं अपितु अपने परिवार में एक रीत चलाकर समाज में अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण जिला विकास एवं पचायत अधिकारी कार्यालय सरसा में चुनाव सहायक के पद से सेवानिवृत हुए भूप सिंह जांगड़ा के रूप में देखा जा सकता है। उक्त व्यक्ति द्वारा चलाई गई मुहिम की लोग प्रशंसा कर रहे हैं।
दरअसल सेवानिवृत कर्मचारी भूप जांगड़ा ने अपने बेटे नरेन्द्र कुमार की शादी राजस्थान के नोहर निवासी मनोहर लाल की पुत्री के साथ रखी थी। हालांकि मनोहर लाल ने अपनी बेटी की शादी में थाली में दहेज के रूप में एक लाख रूपये की राशि रखी थी। जब थाली उठाने की बात आई तो भूप सिंह ने यह कहकर एक रूपया व नारियल उठाया कि बेटी से बढ़कर कोई दान नहीं है। यह सुनकर सभी लोगों ने भूप सिंह के जज्बे की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि काश समाज में हर किसी की सोच भूप सिंह जैसी हो तो दहेज प्रथा पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लग जाएगा।
दहेज लोभियों के मुंह पर तमाचा
भूप सिंह ने दहेज प्रथा का विरोध ही नहीं किया अपितु इसे अपने परिवार में लागू कर समाज में एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उनका ये प्रयास दहेज लोभियों के लिए भी एक संदेश साबित हो रहा है। भूप जांगड़ा के परिवार में ये प्रथा वर्ष 2012 से चली आ रही है। उन्होंने वर्ष 2012 में भी अपने दोनों बेटों पवन व सुभाष की शादी में दहेज के रूप में नारियल व एक रूपया स्वीकार किया था।
इसी तरह उन्होंने वर्ष 2013 में अपने भतीजे संदीप, वर्ष 2015 में अपने भतीजे नरेश की शादी में भी यही प्रथा दोहराई। यही नहीं भूप सिंह ने अपने भाई की 2 बेटियों की शादी गांव मेहूवाला में की थी। परिवार द्वारा दहेज प्रथा के खिलाफ मुहिम चलाए जाने से प्रेरित होकर वर पक्ष के लोगों ने भी दहेज के रूप में एक रूपया व नारियल ही स्वीकार किया। हालांकि भूप सिंह का परिवार व उनके संबंधी साधन संपन्न परिवारों से हैं। इसलिए दहेज में मोटी राशि का लेनदेन होना स्वाभाविक है। लेकिन भूप सिंह की सोच ने सभी की सोच बदल दी।
छोटे से प्रयास के मिलने लगे सार्थक परिणाम: भूप सिंह
भूप सिंह का कहना है कि समाज में दहेज प्रथा के खिलाफ जागृति लाने के उद्देश्य से उन्होंने ये छोटा-सा प्रयास किया था। ताकि दहेज के अभाव में बेटियों की शादियों में दिक्कत न आए। भूप सिंह ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रथा पर उनके पूरे परिवार ने सहमति व्यक्त करते हुए पूरा सहयोग किया है। जिसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।