सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। शनिवार को शाहबाद के गांव पाडलू-पंजेल में मारकंडा नदी के समीप खेतों में 6 जिंदा बम शैल मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई। इन शैलों को बम निरोधक दस्ते ने विस्फोट कर निष्क्रिय किया। बम निरोधक दस्ते का नेतृत्व डॉ. परमिला एसएसओ व एडीसी आईडी हरियाणा कर रहीं थीं। जानकारी के मुताबिक अमनदीप सिंह राईडर निवासी पाडलू शनिवार को पाडलू व पंजेल में स्थित अपने खेतों की ओर जा रहे थे तो रास्ते में मारकंडा नदी में दो बम शैल दिखाई दिए।
जिस पर अमनदीप सिंह ने इसकी जानकारी सीआईडी शाहाबाद में प्रवीन कुमार आर्य को दी और आर्य ने यह सारा मामला थाना प्रभारी प्रतीक कुमार को बताया। मामले की जानकारी मिलते ही थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे। जहां सामने आया कि यह कार्य क्षेत्र अंबाला पुलिस का है। जिस पर अंबाला पुलिस को सूचना दी गई। सूचना मिलते के बाद अंबाला पुलिस मौके पर पहुंची और उसके बाद बम निरोधक दस्ता मौके पर पहुंचा। तत्पश्चात इन शैलों को निष्क्रिय करने की कार्रवाई अम्ल में लायी गई। दूसरी ओर ग्रामीणो को जब बम का पता लगा तो वहां भारी भीड़ जुट गई। जिसे पुलिस ने संभाला।
बम शैलों को विस्फोट कर किया निष्क्रिय
दस्ते के सदस्य ने शैलों की वायरिंग कर रिमोर्ट के साथ इन शैलो में विस्फोट कर इन्हें निष्क्रिया किया। दोनों शैलों के विस्फोट के समय बड़ा धमाका हुआ। शैलों के विस्फोट से पूर्व इन्हें गहरे गडढ्े में रखा गया ताकि किसी तरह का नुकसान न हो सके। इस दौरान पब्लिक को दूर हटा दिया गया। इन दो शैलों को निष्क्रिय करने के बाद बम निरोधक दस्ते ने मारकंडा नदी में सर्च अभियान चलाया तो इस दौरान नदी में से चार अन्य शैल भी बरामद हुए।
दस्ते ने इन्हें भी निष्क्रिय कर दिया। वहीं नदी में बम मिलने की सूचना आस-पास के गांवों में आग की तरह फैल गई और बड़ी संख्या में लोग शैलों को देखने के लिए मारकंडा नदी में पहुंचने लगे। बम निरोधक दस्ते के पहुंचने से मिले इन शैलों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था और बाद में दस्ते ने बताया कि यह बम खतरनाक हो सकते हैं जिस पर जनता को पीछे हटाया गया।
अंदेशा: 30 साल पहले आर्मी करती थी यहां अभ्यास
बुजुर्गों ग्रामीणों ने अंदेशा जताते हुए बताया कि 30 साल पहले यहां आबादी नहीं थी। अंबाला से सेना यहां अभ्यास करने के लिए आती थी। वे कई तरह के अभ्यास करती थी, जिसमें गोलाबारी भी की जाती थी। मारकंडा नदी का क्षेत्र पूरा खाली था। ये सेना के भी हो सकते हैं, जो चलने के बाद फटे न हों। वहीं पांच साल पहले रतनगढ़ रेलवे लाइन के पास से भी बम सेल मिले थे। उन बम सेल के बारे में कहा जा रहा था कि ये सेना के हैं। सेना के मारकंडा नदी में अभ्यास के दौरान यहां आए होंगे।
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