सिरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा फरमाते हैं कि दुनिया में जितने भी रिश्ते-नाते हैं, संबंध है उनका आधार, नींव गर्ज पर टिकी हुई है। एक-दूसरे के विचारों से सहमति हो, एक दूसरे के दुनियावी काम आता हो तो प्यार-मोहब्बत है। इनमें अगर विचारों में बदलाव आएगा, एक दूसरे का सहयोग खत्म हो गया तो सालों से बने रिश्ते पल में कच्चे धागे की मानिंद टूट जाते हैं और इन्सान कई बार लुट जाता है। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि ऐसा इन्सान जो दुनियादारी में होशियार नहीं होता जिन्हें कहा जाता है कि भोला है, जो दुनियादारी से अनजान है अगर उसे कोई जरा सा प्यार-मोहब्बत दे तो वो खो जाता है, उसे लगता है कि जन्नत नसीब हो रही है। उसे लगता है कि दुनिया का सबसे अनमोल खजाना हासिल कर लिया पर यह नहीं पता कि यह कलियुग है। इसमें कलयुगी इन्सान अपनी मीठी-मीठी बातों से आपको आकर्षित कर रहा है। उसका कोई मकसद होगा, आपका पैसा, जमीन-जायदाद ऐसा कुछ भी हो सकता है क्योंकि यह कलियुग है और पता तब चलेगा जब आप सब कुछ लुटा बैठोगे, ठोकर लगेगी तब रोओगे कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ।
आप जी आगे फरमाते हैं कि आपने सतों के वचनों को नजर अंदाज क्यों किया। जब पीर-फकीर सत्संग में समझाते रहते हैं कि दुनिया में गर्ज है, प्यार-मोहब्बत सतगुरु, मालिक का ही सच्चा है। वही रहमो-कर्म का दाता है, वही एक ऐसा है जिसका प्यार-मोहब्बत केवल पाक है, बेगर्ज है। जब उसके वचनों पर कोई नहीं चलता, अमल नहीं करता तो न दुनिया में सुख और न ही मालिक से तार जुड़ी रह सकती। संत-फकीर सबसे बेगर्ज प्यार-मोहब्बत करते हैं और यही समझाते हैं कि आप बुराइयां न करेंं, काम-वासना, क्रोध, लोभ, अहंकार, मन-माया के हाथों मजबूर न हो। इनसे लड़ोगे, इनसे बचोगे तभी मालिक से प्यार परवान चढ़ेगा।
आप जी फरमाते हैं कि यहां पर जैसा कर्म करोगे वैसा फल मिलता है। जैसे यह धरती है, इसमें जैसा बीज डालेंगे, इसको संभालेंगे, निराई, गुड़ाई करेंगे, मेहनत करेंगे तो आम का पौधा लगाया है तो एक दिन आम जरूर आएंगे और अगर बबूल का पेड़ लगाया है तो आंख बंद करके अगर हाथ मारो तो हाथ लहूलुहान हो जाएंगे और फिर दोष देंगे भगवान को कि मैंने पौधा बोया था तूने आम क्यों नहीं लगाया। इतनी तो भगवान ने भी आपको समझ दी है कि अगर पौधा बबूल का लगाया है तो आम कैसे हो सकता है। लेकिन इन्सान परवाह नहीं करता। बीज डाला उसको देखा नहीं। फकीरों ने बहुत समझाया कि अच्छे-नेक कर्म करो, काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से आजाद हो जाओ, मन-माया के जाल में न फंसो, सुमिरन करो, अल्लाह, मालिक की इबादत करो। किसी की निंदा न करो, निंदक का साया न पड़ने दें।
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