नई दिल्ली (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव शुरू होने में अभी 15 दिन से ज्यादा का वक्त है। लेकिन उससे पहले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में भगदड़ मची हुई है। एक के बाद एक ममता बनर्जी के भरोसेमंद उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं। अब सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, इस सबकी पटकथा लिखी है तृणमूल के पूर्व नेता एवं वर्तमान में भाजपा नेता मुकुल रॉय ने। मुकुल रॉय ही वो व्यक्ति हैं, जो एक वक्त ममता के बाद तृणमूल में दूसरे नंबर के नेता थे। लेकिन आज वे भाजपा के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रहे हैं। रॉय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरूआत यूथ कांग्रेस से की और उस वक्त ममता बनर्जी भी इसमें शामिल थी। इसके बाद कांग्रेस से उभरे मतभेदों के बाद ममता बनर्जी ने अलग राह चुनी और 1998 में आॅल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की। उस वक्त समय मुकुल रॉय भी संस्थापकों में शामिल थे।
कुछ सालों बाद मुकुल राज्य दिल्ली में तृणमूल के प्रमुख नेता के रूप में उभरे। उनकी कार्यकुशलता के चलते वर्ष 2006 में उन्हें पार्टी महासचिव बनाया गया। इसके साथ ही उन्हें राज्यसभा भेजा गया। संप्रग-2 सरकार के शासनकाल में वे देश के रेल मंत्री भी रहे। हालांकि वे इस पद पर ज्यादा दिनों तक नहीं रहे पाए, क्योंकि 2012 में तृणमूल ने संप्रग को अलविदा कर दिया था। इसके बाद एकदम घटनाक्रम बदला और ममता और मुकुल रॉय में मतभेद पैदा होने लगे। इसकी वजह थी रॉय का शारदा घोटाले और नारदा स्टिंग आॅपरेशन में नाम आना। तत्पश्चात सितंबर 2017 में मुकुल रॉय को तृणमूल कांग्रेस से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया। मुकुल राय ने मौका का फायदा उठाते हुए केन्द्र की सत्ता पर काबिज भाजपा का दामन थाम लिया।
अब मुकुल राय के सामने अपनी कार्यकुशलता को प्रकट करने की चुनौती थी, तो उन्होंने बंगाल में भाजपा को जमीनी स्तर पर स्थापित करने में जुट गए। ये उनके कार्य कौशल की ही नतीजा था कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनावों में भाजपा को पश्चिम बंगाल में 18 सीटों पर जीत मिली। पश्चिम बंगाल में भाजपा के चाणक्य के रूप में स्थापित हो चुके मुकुल रॉय की गोटियों के चक्कर में फंसकर ही कई तृणमूल विधायक और नेता भाजपा का दामन थाम चुके हैं। जिनमें उनके बेटे और विधायक सुब्रांगसु रॉय, विश्वजीत दास, सोवन चटर्जी, सुनील सिंह, सब्यसाची दत्ता, विलसन चंपमरी और मिहिर गोस्वामी शामिल हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि तृणमूल के दिग्गज नेता शुभेंदु अधिकारी, राजीब बनर्जी और जितेंद्र तिवारी भाजपा में लाने के पीछे भी मुकुल रॉय का ही हाथ रहा है। गत दिवस
टीएमसी के पांच और मौजूदा विधायक-ममता की करीबी सोनाली गुहा, रबींद्रनाथ भट्टाचार्य, जाटु लाहिरी, शीतल सरदार और दीपेंदु बिस्वास ने भी भाजपा में आस्था व्यक्त करते हुए पार्टी ज्वाइन कर ली। खुद सोनाली गुहा ने भी ये बात स्वीकार की कि वे सब मुकल रॉय के निवेदन पर भाजपा में शामिल हुए।
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