देश के लिए यह खुशखबरी है कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए टीकाकरण की रफ्तार बढ़ती जा रही है। पांच मार्च को 15 लाख के करीब डोज लग चुकी है, पहले सप्ताह के मुकाबले जागरूकता भी बढ़ी है। देश में दो करोड़ 9 लाख 22 हजार से ज्यादा लोगों को कोविड-19 का टीका लग चुका है। शुरूआत में लोग टीके के दुष्प्रभाव के कारण भयभीत थे, लेकिन अब बुजुर्गों सहित फ्रंट लाइन के कोरोना वारियर्स ने भारी उत्साह दिखाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित देश के कई मुख्यमंत्रियों, आईएएस व आईपीएस अधिकारियों ने टीका लगवाकर जनता का उत्साह बढ़ाया और भ्रम दूर किए हैं। 22 लाख सीनियर सिटीजन को टीका लगाया गया है। पहले दिन केवल कुछ हजारों लोगों को ही टीका लगाया गया था। हमें अमेरिका और चीन की तरह टीकाकरण की रफ्तार बढ़ानी होगी। अमेरिका में आठ करोड़ और चीन में पांच करोड़ से अधिक लोगों को टीका लग चुका है। कोरोना वायरस के मामलों का लगातार विस्तार हो रहा है।
पिछले 24 घंटों के दौरान संक्रमण के 18 हजार 711 नए मामले सामने आए हैं। जिसके साथ ही देश में मरीजों की कुल संख्या एक करोड़ 13 लाख 7 हजार से ज्यादा हो गई है। महाराष्टÑ में एक दिन में दस हजार मामले सामने आने से चिंताजनक हालात हैं। 15 राज्यों में ठीक होने वाले मरीजों की अपेक्षा नए मरीज सामने आ रहे हैं। टीकाकरण के साथ-साथ सावधानी भी हथियार बन गया है। टीके के बावजूद मास्क व आपसी दूरी का ध्यान रखना होगा। विशेष रूप से राजनीतिक पार्टियों व अन्य संगठनों को भीड़ करने की आवश्यकता नहीं है। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और सत्ता की जंग में सभी दल जुटे हुए हैं, यहां रैलियों में भीड़ को लेकर सावधान रहना होगा। पहले बिहार में भी ऐसा हुआ था जब विधानसभा चुनाव के दौरान सभी पार्टियोंं ने बड़ी-बड़ी रैलियां की और सोशल मीडिया पर अपने अधिकारिक अकाउंट पर तस्वीरें पोस्ट की थी। इसीलिए बढ़ रहे कोरोना के मामलों की संख्या के मद्देनजर सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
इतिहास गवा है कि पहले भी जितनी भी महामारियां आई हैं, उन पर काबू पाने में काफी वक्त लगा है, लेकिन कोरोना को लेकर बहुत बड़ी सुकून की बात रही कि दुनिया भर में तमाम में कारगर टीके बहुत जल्द ईजान हुए और इस मामले में भारत बहुत खुशनसीब है। भारत में टीकों को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। टीके के सकारात्मक नतीजों के आंकड़ों नजर डालनी होगी। शायद इस मामले में केंद्र और राज्यों सरकारों को जागरूकता बढ़ानी होगी। पूरे देश में हर चिकित्सालयों व सामाजिक संस्थाओं को आगे आकर जहां टीके पर बेवजह के भ्रम को ईमानदारों प्रयासों व जनसंवाद के जरिए दूर करने की कोशिश करनी होगी वहीं अब सभी आम और खास को भी यह समझना ही होगा कि साल 2021 में भी किसी भी सार्वजनिक स्थान या कहें कि घर की चौखट के बाहर मास्क के बिना दुखदायी होगी। देश भर में इतना जरूर हो कि जो पिछले साल की सीख लेकर एक बार फिर बजाए संपूर्ण लॉकडाउन के एहतियात के तौर पर नाइट कर्फ्यू जरूर लगा दिया जाए और दिन में बिना मास्क वालों पर सख्ती की जाए।