गरीबों को राशन की दरकार, अमीरों को भरमार
सच कहूँ/अशवनी चावला चंडीगढ़। पंजाब में हर महीने मिलने वाली गेहूं-दाल ज्यादातर गरीबों को मिल ही नहीं रही है, बल्कि बड़ी-बड़ी कारों पर अमीर लोग आते हैं और राशन अपनी-अपनी गाड़ियों में भर कर ले जाते हैं। यहीं नहीं डीपू होल्डर भी गरीबों को धमकाकर भगा देता है और गरीबों को मिलने वाले राशन में से 20 प्रतिशत गेहूं तो डीपू होल्डर ही रख लेता है, क्योंकि कोई भी डीपू होल्डर सिर्फ 2500 रुपये के कमीशन के लिए इतनी सिरदर्दी नहीं लेता है, बल्कि वह गरीबों का ही पेट काटता है।
विधानसभा में पेश हुई अनुमान समिति ने उठाए कांग्रेस सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल
पंजाब की कांग्रेस सरकार में यह सब कुछ हो रहा है और यह दोष भी कोई और नहीं बल्कि पंजाब विधानसभा की अनुमान समिति की ओर से लगाए गए हैं, जिसके चेयरमैन राजपुरा से कांग्रेसी विधायक हरदयाल कम्बोज हैं। अनुमान समिति ने अपनी रिपोर्ट गुरूवार को विधानसभा में पेश की है। अनुमान समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पंजाब में जो गरीब लोग हैं, उनके कार्ड न पहले बने थे और न ही अब बन रहे हैं। यदि सही जरूतरमंदों के कार्ड बने हों तो यह 40 प्रतिशत तक पहुंच जाने थे।
उनके हलके में ही 7 हजार कार्ड काटे गए हैं और जिनके कार्ड काटे गए हैं, उनमें कोई विधवा का कार्ड काटा गया है या फिर जिनका गांवों में कोई वाली -वारिस नहीं है, उनके कार्ड काट दिए गए हैं। अनुमान समिति ने यह भी कहा है कि वह इस बात का सबूत दे सकते हैं कि पंजाब में गरीब व्यक्तियों को राशन नहीं मिलता बल्कि बड़े-बड़े लोग अपनी, कारों में राशन भर कर ले जाते हैं। यह कार्ड विभाग के पुराने इंस्पेक्टरों ने ही बनाए हैं और यह गलत कार्ड बने हुए हैं, जिनको काटना बनता है।
गरीबों का पेट काट रहा पंजाब का डीपू होल्डर, नहीं कर रहा 2500 रुपये के लिए काम
समिति ने यह भी कहा कि डीपू होल्डर के पास 200 कार्ड धारकों के साथ 1 हजार लाभपात्री बन जाते हैं और 5 किलो गेहूँ के हिसाब से 5 हजार किलो गेहूं बन जाती है। इस लिए डीपू होल्डर को 2500 रूपये कमीशन मिलता है। समिति का कहना है कि डीपू होल्डर 2500 रुपए के लिए इतनी सिरदर्दी क्यों लेता है? वह 2500 रुपए के लिए काम नहीं करता, वह गरीबों का पेट काटता है, राशन में से चोरी करता है। यदि एक सदस्य को 25 किलो गेहूं मिलती है तो वह उसे 20 किलो ही देता है और वह उसे धमकाकर भगा देता है।
गरीबों के कार्ड न पहले बनते थे और न ही अब बन रहे हैं
कमेटी ने गरीबों के राशन कार्ड इस सरकार में भी नहीं बनने का मुद्दा उठाया है। समिति का कहना है कि जो गरीब लोग होते हैं, उनके कार्ड न ही पहले बनते थे और न ही अब बन रहे हैं। यदि इन गरीब लोगों के कार्ड बनते होते तो इनकी संख्या 40 प्रतिशत तक पहुंच जानी थी।
डिपू होल्डर का लाईसेंस होता है रद्द तो वह लड़के या पत्नि के नाम से ले लेते हैं फिर से लाईसेंस
विधानसभा की अनुमान समिति ने यह भी कहा कि जब किसी का राशन डीपू का लाईसेंस कैंसल कर दिया जाता है तो वह फिर अपने पुत्र के नाम या अपनी पत्नि के नाम पर लाईसेंस ले लेता है, जिस कारण डीपू फिर उनके पास ही रहता है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सवाल उठाकर पंजाब सरकार को घेरे में ले लिया है, क्योंकि जो डीपू होल्डर गलत काम करता है, उसका ही लाईसेंस कैंसल किया जाता है परन्तु समिति अनुसार वह फिर से अपने पुत्र या पत्नि के नाम पर लाईसेंस ले रहा है।
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