नई दिल्ली (एजेंसी)। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच आयी एक पुस्तक में दावा किया गया है कि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में आने वाले थे। वरिष्ठ पत्रकार एवं नेशनल यूनियन आॅफ जर्नलिस्ट्स इंडिया के अध्यक्ष रास बिहारी ने अपनी पुस्तक ‘रक्तरंजित बंगाल : लोकसभा चुनाव 2019’ में यह खुलासा किया है। उन्होंने पुस्तक के एक अध्याय ‘भाजपा में आने को अधीर थे कांग्रेस के चौधरी’ में इस दिलचस्प वाकये को कलमबद्ध किया है। लेखक ने हाल ही में यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी भेंट की है। रासबिहारी ने लिखा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने और कांग्रेस में कुछ बड़े नताओं द्वारा ममता बनर्जी की पैरवी करने से नाराज अधीर रंजन चौधरी वर्ष 2018 में पार्टी छोड़ने का मन बना चुके थे।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के धुर विरोधी चौधरी को भाजपा में लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा और वरिष्ठ नेता मुकुल राय भी सहमति दे चुके थे। लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से चौधरी के कदम रुक गये। सितंबर 2018 में पंचायत चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ जोरदार तरीके से लड़ने वाले अधीर रंजन चौधरी को हटाकर सोमेन मित्रा को पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष तथा शंकर मालकर, नेपाल महतो, अबू हाशिम खान चौधरी और दीपा दास मुंशी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था। लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से हटाए जाने पर चौधरी को बहुत बड़ा झटका लगा था।
चौधरी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। सुश्री बनर्जी को अवसरवादी नेता और आदमखोर बताते हुए उन्होंने कहा था कि 2005 में बांग्लादेशी घुसपैठियों को समस्या बताने वाली सुश्री ममता बनर्जी राजनीतिक फायदे के लिए एनआरसी का विरोध कर रही हैं। चौधरी कई बार पार्टी आलाकमान के निर्देशों को भी नकारते रहे हैं। विधानसभा और पंचायत चुनाव में उन्होंने पार्टी के घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करा चुनाव जिताया। पंचायत चुनाव में चौधरी ने ममता सरकार के खिलाफ उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में भी लड़ाई लड़ी थी।
कांग्रेस से नाराजगी और भाजपा नेताओं से मुलाकात के दौरान चौधरी ने 27 फरवरी 2019 भाजपा नेता मुकुल राय का समर्थन करते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और मुख्यमंत्री सुश्री बनर्जी को कांग्रेस की गद्दार कहा था। उन्होंने सुश्री बनर्जी पर कांग्रेस से बेईमानी करने और पार्टी की हत्या करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था। इससे पहले संसद में चिटफंड घोटाला विषय पर बहस के दौरान उनकी ओर से तृणमूल नेताओं को चोर और जनता के पैसे का लुटेरा कहने पर सुश्री बनर्जी ने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से उनकी शिकायत की थी। उस दौरान सुश्री बनर्जी कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही थी और चौधरी भाजपा नेताओं से मिल रहे थे। उनका कहना था कि सुश्री ममता बनर्जी ने कांग्रेस के साथ गद्दारी की। कांग्रेस ने उन्हें बड़ा किया है। पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने सुश्री बनर्जी को राजनीति में बढ़ाया। कांग्रेस के टिकट पर वह सांसद और मंत्री बनी और उसी कांग्रेस से उन्होंने पार्टी के साथ बेईमानी की और हत्या करने की कोशिश की। बाद में वह भाजपा का हाथ पकड़ कर मंत्री बनी और जब भाजपा पसंद नहीं आई तो फिर कांग्रेस का दामन पकड़ लिया।
पुस्तक के अनुसार मई 2017 में सोनिया-ममता मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल की सात नगरपालिकाओं के चुनाव परिणाम आते रही तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस श्री चौधरी के पार्टी बदलकर भाजपा में जाने की चर्चा तेज हुई थी। उस समय अधीर यह करने पर कि अब दूसरा विकल्प खोजना होगा पर देश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी कहा कि हमारे दरवाजे खुले हैं। निकाय चुनाव के दौरान हुई व्यापक हिंसा का आरोप तृणमूल पर मढ़कर इसकी शिकायत अधीर ने कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी की थी। 15 मई 2017 को चौधरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनका ध्यान नगर निकाय चुनावों के दौरान हुई हिंसा की ओर दिलाया था। चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती गांधी, राहुल गांधी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी अलग अलग पत्र लिखकर ममता बनर्जी सरकार द्वारा लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया था। उन्हें वामदलों से गठबंधन का समर्थक माना जाता है।
ममता बनर्जी से किसी भी तरह से तालमेल या गठबंधन का उन्होंने हमेशा विरोध किया। अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र मुर्शिदाबाद में अधीर रंजन चौधरी की छवि गरीबों के मसीहा जैसी है। उनका अपना जनाधार है। कई बार पंचायत चुनाव में उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ जाकर अपने समर्थकों को बागी उम्मीदवार के तौर विजयी बनाया है। चौधरी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बाद पश्चिम बंगाल से दूसरे ऐसे नेता हैं, जो लोकसभा कांग्रेस के नेता बने हैं। उन्हें यह पद मुखर्जी की अनुशंसा पर ही मिला है। भाजपा में जाने की चर्चाओं के बाद अधीर ने भाजपा के खिलाफ अभियान तेज कर दिया। संसद में भी मोदी सरकार के खिलाफ तीखे तंज कसने से परहेज नहीं किया।
पुस्तक में एक घटना का उल्लेख किया गया है कि 17वीं लोकसभा के पहले सत्र से पहले आयोजित एक बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने अधीर को ‘फाइटर’ बताकर तारीफ की थी। कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने उन्हें पास बुलाया और कमरे से निकलते हुए मोदी ने उनकी पीठ थपथपाते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के सामने कहा था कि चौधरी एक ‘फाइटर’ हैं। प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ पर उनका कहना था कि प्रधानमंत्री को नमस्कार किया तो उन्होंने इसके बाद मेरी पीठ थपथपाई और सबके सामने कहा कि अधीर फाइटर हैं। मुझे इस पर खुशी हुई। मेरी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। हम जनप्रतिनिधि हैं। हम अपनी आवाज उठाएंगे और वे अपनी। हम संसद में बोलने जा रहे हैं, न कि जंग के मैदान में।
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