किसानों की बात सुनने नहीं पहुंचा कोई भी प्रशासनिक अधिकारी
सच कहूँ/नरेश कुमार संगरूर। नये बन रहे दिल्ली-कटरा हाईवे का मामला पूरी तरह तूल पकड़ता जा रहा है। किसानों की जमीनें अक्वायर करने की तैयारियां चल रही हैं परन्तु किसानों ने ऐलान किये है कि वह जमीनें किसी भी कीमत पर नहीं देंगे। इस मसले सम्बन्धित प्रशासन की तरफ से गुप्त तरीके से 25 फरवरी को मीटिंग रखी थी, जिसका पता चलने पर इस सम्बन्धित बनी किसान संघर्ष समिति के नेता मीटिंग में आ पहुंचे थे और आज तीसरे दिन भी जिला डीसी कॉम्पलैक्स के आॅडीटोरियम में आंशिक धरने पर बैठे हैं।
इस मार्ग संबंधी किसानों की बनी संघर्ष समिति के नेताओं ने बताया कि नेशनल हाईवे अथॉरिटी की ओर से प्रदूषण विभाग और जिला प्रशासन संगरूर के साथ मिलीभुगत कर रोड सम्बन्धित एक गुप्त मीटिंग रखी थी, जिसमें 25 फरवरी को कुछ व्यक्तियों को मीटिंग के लिए बुलाया गया।
उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष समिति को जब इस मीटिंग का पता चला तो उन्होंने उसी दिन ही मुख्य सड़क पर जाम लगा दिया उन्होंने आरोप लगाया कि भवानीगढ़ के तहसीलदार की ओर से समिति को लिखित भरोसा दिया था कि 25 तारीख की मीटिंग नहीं होगी, जिस कारण किसानों ने प्रशासन के भरोसे के बाद जाम उठा दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने उनको पर्दे पीछे रख कर अपने कुछ सदस्यों के साथ 25 फरवरी को मीटिंग कर ली, जिसका पता चलने पर समिति के नेता बड़ी संख्या में किसानों को लेकर मीटिंग में पहुंंच गए, जिसका पता चलने पर उक्त अधिकारी वहां से खिसक गए।
इस संबंधी किसान नेता हरमनप्रीत सिंह डिक्की जेजी कोआर्डीनेटर किसान संघर्ष समिति पंजाब ने कहा कि 25 से लेकर आज तक किसान प्रशासन का इन्तजार में धरने पर बैठे हैं परन्तु अभी तक कोई भी किसानों की बातचीत सुनने के लिए नहीं आया। उन्होंने कहा कि जितनी देर जमीन के रेट के लिए योग्य मुआवजा तय नहीं हो जाता, उतनी देर सभी कार्यवाहियों प्रशासन निरस्त करे। उन्होंने कहा कि किसान संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो 1 मार्च को पंजाब स्तरीय धरना संगरूर में दिया जाएगा।