सारा इन्सां का नाम ‘इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड’ में दर्ज

Sara-Insan

महज 50 सैकेंड में 20 शैडोग्राफी आर्ट बना कर बनाया रिकॉर्ड’

सच कहूँ/टहल सिंह खन्ना (लुधियाना)। शहर की सिटी होम कॉलोनी की 10 वर्षीय सारा इन्सां ने ‘शैडोग्राफी आर्ट’ में अपने हुनर का कमाल दिखाते हुए ‘इंडिया बुक आॅफ रिकार्ड’ में नाम दर्ज करवाते हुए देश व अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। सारा इन्सां के पिता विमल कुमार इन्सां, जो कि पेशे से सीए हैं, ने बताया कि उनकी बेटी पांचवीं कक्षा में पढ़ती है। उन्होंने बताया कि उसे बचपन से ही शैडोग्राफी का शौक है और इसी कारण हमने उसको ‘शैडोग्राफी आर्ट’ में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उसने छोटी उम्र में ही यह अपने हूनर का बेहतरीन नमूना पेश किया है।

उन्होंने कहा कि इसका पूरा श्रेय पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां जी को जाता है, जिनकी रहमत और मार्ग दर्शन से ही यह सबकुछ संभव हो पाया है। उन्होंने बताया कि सारा इन्सां ने 31 जनवरी को केवल 50 सैकेंड में 20 शैडोग्राफ तैयार कर दिए, जिनमें ह्यूमन फेस, मोर, खरगोश व अन्य पक्षी और जानवर आदि शामिल थे, जो हम ‘इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड’ को मेल कर दिया।

रिकार्ड होल्डर सारा इन्सां ने अपने माता-पिता का नाम किया रोशन 

2 फरवरी को ‘इंडिया बुक आॅफ रिकॉर्ड की ओर से उनको एक मेल के द्वारा संदेश भेज कर बताया कि सारा इन्सां द्वारा बनाया शैडोग्राफ उनकी तरफ से रिकॉर्ड के तौर पर दर्ज कर लिया गया है। उनकी तरफ से सारा इन्सां को उसकी इस उपलब्धि पर ‘यंगेस्ट टू प्रफोर्म हैड शैडोग्राफी’ रिकार्ड के नाम से एक सर्टीफिकेट सहित गोल्ड मैडल, आईडी कार्ड और पैन देकर सम्मानित किया गया। रिकार्ड होल्डर सारा इन्सां ने कहा कि वह बहुत ही खुश है कि उसने अपने माता-पिता का नाम रोशन किया है। उसने कहा कि यह स्थान प्राप्त करने में मुझे मेरे माता-पिता ने पूरा सहयोग दिया है और यह सब हमारे पूज्य गुुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जी रहमत से ही संभव हुआ है। मैं इस स्थान पर पहुंचने का श्रेय संत डॉ. एमएसजी को देती हूँ।

पूज्य गुरू जी की शिक्षा पर चलने का फल मिला : माता-पिता

सारा इन्सां के पिता विमल कुमार इन्सां (सीए) और माता रेखा इन्सां ने बताया कि पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां ने हमेशा सभी को यही शिक्षा दी है कि बेटियों को अबला नहीं सबला बनाएं और वह भी बेटों की तरह माता-पिता, देश का नाम रोशन कर सकती हैं। पूज्य गुरु जी की इन पावन शिक्षाओं पर चलते हमने अपनी बेटी को हर अच्छे क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका देकर सहयोग दिया और नतीजा हम सब के सामने है। अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर हमें बहुत ही खुशी और गर्व महसूस हुआ है।

उन्होंने बताया कि वह मानवता भलाई के कार्य करने में भी बहुत रूचि रखती है और उसने अपने इस रिकार्ड प्राप्ति की खुशी में एक पौधा लगाया और पक्षियों के लिए घोंसला भी लगाया है। उन्होंने समाज को संदेश देते कहा कि बेटियों को कभी भी बोझ न समझें, अच्छे संस्कार देकर आगे बढ़ने का मौका दें।

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