कैनथल सप्लाई चैनल से मारकंडा और सरस्वती नदियों को जोड़ा जाएगा
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राज्य सरकार ने सरस्वती नदी के पुनरोद्धार को लेकर परियोजना को दी मंजूरी
सच कहूँ/देवीलाल बारना कुरुक्षेत्र। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि राज्य सरकार ने सरस्वती नदी के पुनरोद्धार के लिए एक परियोजना को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत आदि बद्री में सरस्वती बांध, सरस्वती बैराज और सरस्वती जलाशय का निर्माण किया जाएगा तथा साथ ही, कैनथल सप्लाई चैनल से मारकंडा और सरस्वती नदियों को भी जोड़ा जाएगा।
सीएम ने सोमवार को यमुनानगर जिले के आदिबद्री में चल रहे अंतरराष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव-2021 के दौरान ‘सरस्वती नदी-नए परिप्रेक्ष्य और विरासत विकास’ विषय पर आयोजित एक संगोष्ठि को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। इस संगोष्ठि का आयोजन विद्या भारती संस्कृति संस्थान और हरियाणा सरस्वती हैरिटेज विकास बोर्ड द्वारा किया गया। सीएम ने कहा कि परियोजना के पूरा होने पर लगभग 894 हेक्टेयर मीटर बाढ़ के पानी को सरस्वती जलाशय में मोड़ा जा सकेगा। केंद्रीय जल आयोग इस बांध की डिजाइनिंग पर काम कर रहा है।
800 करोड़ का प्रावधान
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकार की तरफ से डैम, बैराज और सरस्वती सरोवर का निर्माण करने की परियोजना के लिए 800 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। इस परियोजना के तहत बाढ़ के पानी से प्रभावित तकरीबन 894 हेक्टेयर भूमि पर बरसात के समय आने वाले पानी का प्रबंध किया जाएगा। इतना ही नहीं पवित्र नदी सरस्वती को मारकंडा नदी के साथ जोड़ने का काम भी शुरु कर दिया गया है।
सरस्वती नदी के मिल चुके वैज्ञानिक प्रमाण
सीएम ने कहा कि सरस्वती नदी की खोज से जुड़े कार्यों में जो प्रगति हुई है, उसका श्रेय काफी हद तक स्वर्गीय दर्शन लाल जैन को जाता है। हालांकि वह आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार आज भी हमारे साथ हैं। उनके बताए मार्ग पर चलकर सरस्वती का पुनरोद्धार करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के अस्तित्व को लेकर जो शंकाएं थीं, उन सबका समाधान हो चुका है और इसके प्रवाह के वैज्ञानिक प्रमाण मिल चुके हैं।
सरस्वती तट पर स्थित धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में ही हुआ महाभारत का युद्ध
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा को विश्वभर में वैदिक संस्कृति के उद्गम स्थल के नाम से जाना जाता है। इसका श्रेय यहां बहने वाली मां सरस्वती को ही जाता है जिसने अपनी गोद में इस संस्कृति का पालन-पोषण किया। उन्होंने कहा कि सरस्वती के पावन तट पर हमारे ऋषि-मुनियों ने वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों की रचना की थी। ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व से ओत-प्रोत महाभारत का युद्ध भी सरस्वती तट पर स्थित धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र में ही हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान, भक्ति और कर्म की अमर कृति श्रीमद्भगवतगीता का ज्ञान भी इसी पावन भूमि पर दिया था।
सरस्वती नदी विरासत के अनुसंधान कार्य में जुटे 70 से अधिक संगठन
मनोहर लाल ने कहा कि महाभारत में मिले वर्णन के अनुसार सरस्वती हरियाणा में यमुनानगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से थोड़ा-सा नीचे आदिबद्री नामक स्थान से निकलती थी। आज भी लोग इस स्थान को तीर्थस्थल मानते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में इसरो, जीएसआई, एसओआई, एएसआई, ओएनजीसी, एनआईएच रुडकी, बीएआरसी, सरस्वती नाड़ी शोध संस्थान जैसे 70 से अधिक संगठन सरस्वती नदी विरासत के अनुसंधान कार्य में लगे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग के पुराने मानचित्रों के अनुसार सरस्वती नदी योजना को अंतिम रूप दिया गया है। इसरो, हरसेक, सीजीडब्ल्यूबी और अन्य वैज्ञानिक संगठनों द्वारा सरस्वती नदी के पुरापाषाण काल का परिसीमन और मानचित्रण तैयार किया गया है।
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