सरसा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि इन्सान इस दुनिया में आता है, अल्लाह, वाहेगुरु, राम ने इन्सान को बनाया कि यह दुनिया में आकर अच्छे-नेक कर्म करे, अल्लाह, वाहेगुरु, राम को याद करे ताकि जन्म-मरण का चक्कर हमेशा के लिए खत्म हो जाए। जीते-जी परमानन्द की प्राप्ति हो, तमाम लज्जतें, खुशियां, मनुष्य की झोली में पड़ें। इन्सान मन-माया के जाल से बचा रह सके और काल के दायरे को तोड़ता हुआ दयाल के दायरे में आ पहुंचे।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि भगवान ने इन्सान को बनाया और जब यह देखा कि इतना सुंदर शरीर बनाने के बावजूद भी आदमी, आदमी नहीं बन रहा। पशुओं से भी बदत्तर कर्म करता है। राक्षस भी शरमा जाए, ऐसे कर्म करता है तो फिर भगवान ने संत, पीर-पैगम्बरों को इस दुनिया में भेजा। उन्होंने शिक्षा दी कि भाई, मालिक के नाम का जाप करो। अच्छे कर्म करो ताकि आवागमन से मुक्ति मिले और आप मालिक की दया-मेहर, रहमत के काबिल बन जाओ।
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