कार्पोरेट घरानों को सौंपा जा रहा कृषि क्षेत्र : गुरनाम सिंह चढूनी

Agriculture sector being handed over to corporate houses Gurnam Singh Chadhuni

बोले : चार साल पहले ही अंबानी अड़ानी ने गोदाम बनाने क्यों किए शुरू

  • संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 18 फरवरी को चार घंटे रोकी जाएंगी ट्रेनें

रोहतक (सच कहूँ/नवीन मलिक)। केन्द्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में लगातार किसानों का आक्रोश सरकार के खिलाफ बढ़ता जा रहा है। किसानों का साफ कहना है कि जब तक सरकार इन काले कानूनों को वापिस नहीं लेती और एमएसपी पर खरीद गारंटी कानून नहीं बनाती है, तब तक उनका आंदोलन इसी तरह से जारी रहेगा। वीरवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी मकडोली टोल पर पहुंचे और धरने पर बैठे किसानों के साथ आंदोलन को लेकर रूपरेखा तय की।

किसान नेता चढूनी ने सरकार पर जमकर निशाना साधा और कहा कि जिस देश की जनता सड़कों पर आंदोलन करने पर मजबूर हैं, उस देश के राजा को कैसे नींद आ सकती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश की जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि वह एक फोन कॉल किसानों से दूर हैं, लेकिन आज तक संयुक्त किसान मोर्चा के पास वार्ता के लिए कोई फोन नहीं आया। सरकार किसान आंदोलन को लेकर कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है, सिर्फ भ्रमित ब्यानबाजी कर किसान आंदोलन को बदनाम करने का षड्यंत्र रच रही है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसानों की आय दुगनी व साल में छह हजार रुपए देने की बात कर रहे हैं, जबकि आज एमएसपी से नीचे फसलों की खरीद की जा रही है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। गुरनाम सिंह चढुनी ने कहा कि सरकार ने बार्डरों पर शांतिपूर्ण तरीके से बैठे किसानों पर असमाजिक तत्वों के सहयोग से पत्थरबाजी तक करवाई, लेकिन किसानों का मनोबल नहीं टूटा। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार इन तीन काले कानूनों को वापिस नहीं लेती, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा।

पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान नेता चढूनी ने कहा कि सरकार यह तीन बिल केवल कार्पोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए लेकर आई है। उन्होंने कहा कि यह कानून सरकार से किसने मांगे थे, जबकि सरकार जबरदस्ती किसानों पर थोप रही है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पूर्व नियोजित योजना के अनुसार अंबानी, अडानी को चार साल पहले ही गोदान बनाने की परमिशन दे दी थी। यह कानून पूरी तरह से हर वर्ग के हितों के खिलाफ हैं। साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार पूरे देश के पैसे को चंद लोगों के हाथों में सौंपना चाहती है।

उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर सरकार के खिलाफ 18 फरवरी को चार घंटे के लिए देश में रेल रोको आंदोलन चलाया जाएगा। एक किसान नेता द्वारा आंदोलन को लम्बा चलाने के बयान पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह किसी व्यक्ति विशेष का आंदोलन नहीं है, बल्कि संयुक्त किसान मोर्चा का आंदोलन है और जो निर्णय मोर्चा लेगा, वह सबको मान्य होगा।

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