विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं। इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। पेट्रोलयम पदार्थों के लगातार बढ़ते दाम से आम आदमी हलकान है और उस पर तेल कंपनियों ने बार-बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा दिए हैं।
तेल कंपनियां लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ाती जा रही है वहीं रातोंरात रसोई गैस में 25 रुपयों की वृद्धि कर महंगाई को बढ़ा दिया है। बजट घोषित होने के तीन दिनों के भीतर तेल की कीमतों में भारी इजाफा हो गया है। सरकारी तेल कंपनियों ने करीब एक सप्ताह के बाद घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के दाम में भारी बढ़ोतरी कर दी है। इसके बाद देश के सभी शहरों में पेट्रोल-डीजल के दाम अपने उच्चतम स्तर पर चले गए हैं। देश में कई स्थानों पर पेट्रोल ने 100 रुपए प्रति लीटर को पार कर दिया है। यह स्थिति तो तब है जब सरकार के राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है। जनवरी 21 में जीएसटी कलेक्शन ने अब तक के सारे रिकार्ड तोड़ दिए हैं।
वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी है कि इस महीने एक लाख बीस हजार करोड़ के करीब जीएसटी कलेक्शन हुआ है। इसी बीच सरकार ने रसोई गैस के दाम में वृद्धि कर गरीबों को महंगाई की भेंट चढ़ा दिया। तेल कंपनियों ने बजट के बाद गैस की कीमतों में इजाफा कर दिया है। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में रोजाना सुबह 6 बजे बदलाव होता है। सुबह 6 बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। इस बार एक फरवरी को कमर्शियल सिलिंडर के दामों में 190 रुपये की बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन घरेलू गैस के दामों में बदलाव नहीं किया गया था। अमूमन ऐसा होता है कि कंपनिया प्रत्येक माह की पहली तारीख को रसोई गैस की कीमतों में बदलाव करती हैं और उनकी जानकारी भी सार्वजनिक करती हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। सिर्फ 19 किलोग्राम वाले सिलेंडर की कीमत में बदलाव हुआ, लेकिन 14 किलोग्राम वाले का दाम यथावत रहा है।
पेट्रोल-डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोड़ने के बाद इसका दाम लगभग दोगुना तीन गुना हो जाता है। विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या हैं। इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। पेट्रोलयम पदार्थों के लगातार बढ़ते दाम से आम आदमी हलकान है और उस पर तेल कंपनियों ने बार-बार पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ा दिए हैं। यानी अब आदमी को और महंगाई का बोझ सहना पड़ेगा। तेल के भावों में निरंतर वृद्धि से रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में आग लग गयी है।
सब्जी फल महंगे हो जाने से रसोई का हिसाब बिगड़ गया है। ट्रकों ने मालभाड़ा बढ़ा दिया है जिससे आम उपभोग की वस्तुओं का महंगा होने स्वाभाविक है। दूसरी तरफ केंद्र और राज्य सरकारों ने अपने टैक्स में कोई कमी नहीं की है। यदि टैक्स में कमी हो तो जनता को राहत मिल सकती है। मगर जनता को राहत कोई देना नहीं चाहता। अगर भारत में पेट्रोल की कीमत बढ़ती रहती है तो सभी खाद्य पदार्थ महंगे हो जाएंगे। इससे बचत कम और व्यय अधिक होगा। इसके परिणाम स्वरूप भारत में रियल एस्टेट, बैंकिंग और अन्य क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। अंत में अधिक से अधिक लोगों को गरीबी रेखा की ओर धकेल दिया जाएगा।
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