हमारे देश में ही भ्रामक प्रचार क्यों?

Why misleading propaganda in our country

ऐसा लगता है हम भारतीय दुनिया के साथ चलने के लिए तैयार नहीं। दुनिया चाँद पर जा बैठी है परंतु हम धरती पर ही एक-दूसरे के साथ लड़ते रहेंगे। देश में कोरोना महामारी (कोविड-19) से निपटने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी मुहिम चल पड़ी है परंतु वहीं अफवाहों का दौर जारी है। कभी कोई नेता कहता है कि इससे कोई बीमारी हो सकती है और कोई इसे असुरक्षित मान रहा है। कोई कह रहा है कि नेता पहले टीका क्यों नहीं लगवा रहे? दूसरी तरफ अन्य देशों में ऐसी कोई तू-तू-मैं-मैं नजर नहीं आ रही।

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, ईजराइली राष्ट्रपति नेतन्याहू, सऊदी अरब के शहजादे मुहम्मद बिन सलमान ने सबसे पहले टीका लगवाया। अन्य देशों में अगर नेताओं ने पहले टीका नहीं भी लगवाया तब भी वहां कोई मुद्दा नहीं। आखिर हमारे देश में भी वैज्ञानिकों ने ही टीका तैयार किया है, वह भी तीन ट्रायल करने के बाद। टीका जिन्दगी देने के लिए तैयार किया गया है न कि किसी को मारने के लिए। ऐसी अफवाहों से टीकाकरण मुहिम प्रभावित होती है और समय पर टीका नहीं लगता।

इससे पूर्व पल्स पोलियो मुहिम को भी अफवाहें फैलाकर कमजोर करने की कोशिश की गई थी परंतु सरकार ने पल्स पोलियो का प्रचार ही इतना किया कि जागरुकता आने के साथ पोलियो लगभग खत्म हो गया है। हमें भी ऐसी छोटी-मोटी अफवाहों से बाहर आने की जरुरत है। वास्तव में जोर इस बात पर दिया जाना चाहिए कि टीकाकरण मुहिम में कहीं ढुल मुल रवैया है तो उस बात की आलोचना की जाए। महामारी के दौर में अज्ञानता और अफवाहों से दूर रहना चाहिए।

हम भारतीयों की मानसिकता ही ऐसी बन चुकी है कि राई का पहाड़ बना दिया जाता है। जब कोई तांत्रिक अंधविश्वास द्वारा भोले-भाले लोगों को रोग ठीक करने के नाम पर ठगता है तब सभी चुप्पी साध लेते हैं। अच्छी बात यह है कि लोगों को टीकाकरण के लिए जागरुक करके अफवाहों व अंधविश्वास से बचने के लिए कहा जाये। महामारी में लोगों को सही जानकारी देना सभी की नैतिक जिम्मेवारी है।

इस बात में कोई दम नहीं कि अगर कोई राजनेता स्वयं टीका नहीं लगवाता तो टीके की विश्वसनीयता नहीं है। क्या इस बात पर विचार नहीं किया जाना चाहिए कि जनता को नुकसानदायक टीका लगाने के साथ नुकसान की जिम्मेवारी भी संबंधित सरकार के नेताओं की होती है? यूं भी टीके पर सवाल उठाने की राजनीतिक स्तर पर ऐसी कोई मुहिम नजर नहीं आ रही। विपक्षी पार्टियों की सरकार वाले प्रदेशों में भी टीकाकरण मुहिम चल रही हैं।