डबवाली। राजमीत इन्सां। बिश्नोई समाज के पहलें व संयुक्त पंजाब हरियाणा पूर्व विधायक ने अपने 100वां जन्मदिन पौधारोपण कर मनाया। ग्रामीणों ने ढोल बजा कर खुशी मनाई। संयुक्त हरियाणा पंजाब के समय बिश्नोई समाज के पहले विधायक सहीराम धारणिया के आज 100 वर्ष की उम्र में भी खेतीबाड़ी संभालते हैं और जीवन के 100वें साल में पहुंचकर भी बिना चश्मा के अखबार पढ़ते हैं। सब्जी व फल औऱ फूल उत्पादन करते हैं तथा निराई गुड़ाई का काम करने से भी पीछे नहीं रहते। सबसे वयोवृद्ध पूर्व विधायक और युवाओं के लिए भी स्वस्थ है और दिनचर्या के लिए प्रेरणा साबित हो रहे हैं।
गांव सकताखेड़ा में पंजाब सीमा के पास बनी ढाणी में रहने वाले पूर्व विधायक एवं बिश्नोई महासभा के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट सहीराम धारणिया आज सौंवे वर्ष में जी रहे हैं। सुबह सूरज निकलने से पहले उठ जाते हैं और अपनी ढाणी के साथ खेतों में काम करते हैं। ढाणी के साथ खेत में सब्जियां व फलदार फूलदार पौधे लगाए हुए हैं। परिवार की जमीन में खेतीबाड़ी का निरीक्षण करते हुए खुद गौर करते हैं। खेतों में खड़ी सरसों व गेहूं की फसल का खुद निरीक्षण कर निराई गुड़ाई कराते हैं। उनकी मेहनत से उगाकर तैयार की गई सब्जियां घर में पकाई जाती हैं जबकि आसपास के लोगों और रिश्तेदारों को भी वे अपनी उगाई सब्जियां व फल भेंट करते हैं।
ऐसी रहती है दिनचर्या
वयोवृद्ध पूर्व विधायक सहीराम बिश्नोई ने बताया कि सुबह उठकर हल्का गर्म पानी पीते हैं और नीम दातुन से मंजन करते हुए टहलते व खेत में काम करते हैं। दिन चढ़ने पर एक गिलास गाय का दूध पीते हैं और दोपहर तक बागवानी और सब्जी बाड़ी में काम करते हैं। भोजन में साधारण दाल व सब्जियां और चपाती के साथ छाछ पीते हैं। गर्मियों में छाछ का अधिक सेवन करते हैं जबकि सर्दियों में कम। वेे कभी फास्ट फूड नहीं खाते और न ही चाय पीते हैं।
पूर्व विधायक दोपहर बाद करीब 4 बजे एक गिलास दूध ओर लेते हैं तथा अपना खेत का काम निपटाते हैं। शाम 6 बजे एक घंटा भजन संध्या करते हैं और शाम को खाना खाने के बाद खेत में टहलते हैं। पौत्र उमेद बिश्नोई ने बताया कि उनकी याददास्त अच्छी है और दिनचर्या में महत्वपूर्ण तथ्यों को अपनी डायरी में नोट करते रहते हैं। उनकी डायरी में परिवार के पाकिस्तान में रहने के दौरान से लेकर अब तक की घटनाएं, परिवार व रिश्तेदारों के जन्म मृत्यु की तारिखें दर्ज हैं। कई बार उनसे अपनी परिजनों की जानकारी लेने आते हैं। पाकिस्तान में अपने गांव और घर की भी पूरी याद है।
पाकिस्तान से विभाजन पर समाज जनों को लाए थे भारत
वयोवृद्ध सहीराम धारणिया का जन्म एक शताब्दी पहले 12 जनवरी को पाकिस्तान के भावलनगर में गांव तालिया में हुआ। वे लाहौर के लॉ कॉलेज में पढ़ रहे थे इसी दौरान देश का बंटवारा हो गया और उनका एरिया पाक में आ जाने से गांव पहुंचकर दंगों के बीच बिश्नोई समाज के लोगों को देश में लाए थे। वे सबसे पहले राजस्थान के करणपुर थेहड़ी के पास पुल से देश में पहुंचे और समाज के लोगों को राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती गावों में बसाया।
हरियाणा बनने के दौरान सभी परिवारों को जमीनें दिलवाई और 1951 के देश में पहले आम चुनाव लड़े लेकिन हार गए। वर्ष 1957 में जनसंघ की टिकट पर चुनाव जीते और पंजाब के मौजूद सीएम प्रकाश सिंह बादल के साथ पंजाब विधानसभा में पहुंचे थे। उन्हाेंने शिमला लाॅ काॅलेज से पढ़ाई पूरी की और श्रीगंगानगर में वकालत करने गए लेकिन वकील का पेशा पसंद नहीं आया और वापस लौट आए। उनका कहना है कि झूठ बोलने वाला काम नहीं कर सकते।
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