कब तक पाक में अल्पसंख्यक उत्पीड़ित होते रहेंगे

Minorities in Pakistan

पाकिस्तान से लगातार अल्पसंख्यक वर्ग के उत्पीड़न की खबरें आती रहती हैं। हिंदू मंदिरों को क्षति पहुंचाना पाकिस्तान में आम बात हो चुकी है। हाल के दिनों में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हिंदू मंदिर को आग लगाने और उसे तोड़ने के मामले को विश्व स्तर पर कवर किया गया। विभिन्न वैश्विक संगठनों ने इस मुद्दे पर पाकिस्तान की आलोचना भी की। दरअसल यह मंदिर पूर्व में भी कट्टरपंथियों के द्वारा नष्ट किया जा चुका है, पहले से नष्ट मंदिर को एक बार फिर से नए सिरे से विस्तार दिया जा रहा था जिसका विरोध स्थानीय लोगों ने किया और सैकड़ों की संख्या में कट्टरपंथियों ने मंदिर के पुराने ढांचे के साथ-साथ नवनिर्मित निर्माण कार्य को भी ध्वस्त कर दिया। वैश्विक स्तर पर आलोचना के बाद प्रांतीय सरकार ने अधिकारियों को क्षतिग्रस्त मंदिर के पुनर्निर्माण कराने का आदेश दिया और अपराधियों को सजा दिलाने को लेकर आश्वस्त किया। पाकिस्तान सरकार ने इस मुद्दे पर एक कमीशन का गठन भी कर दिया है।

हालांकि यह कमीशन सिर्फ एक दिखावा है क्योंकि इस कमीशन के पास वास्तविकता में कोई शक्ति नहीं है। पूर्व में भी इस कमीशन ने कुछ सिफारिशों हिंदुओं के अधिकारों को लेकर की थी जिसको अभी तक लागू नहीं किया सका है। वर्तमान पाकिस्तानी सरकार के साथ-साथ पूर्व की सरकारों ने भी हिंदुओं के अधिकारों पर विशेष ध्यान नहीं दिया। जहां एक समय में पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग एक तिहाई हुआ करती थी। आज यह आबादी सिमटकर 5 प्रतिशत से भी कम रह गई है और यह आबादी भी कुछ विशेष क्षेत्रों तक ही सीमित है। वर्तमान समय में पाकिस्तान में धर्मांतरण की घटनाएं, हिंदुओं की बच्चियों के साथ जबरन निकाह और इस प्रकार की अन्य शोषणकारी घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है।

जहां एक तरफ पाकिस्तान में हिंदुओं पर बढ़ रहे शोषण पर कोई कार्यवाही नहीं हो रही है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी सरकार भारत के हिंदू धर्म से जुड़े नागरिकों के लिए वीजा की सुविधा उपलब्ध करा रही है। जिससे भारत में निवास करने वाले हिंदू धर्म के लोग पाकिस्तान में स्थित प्राचीन हिंदू तीर्थ स्थानों की यात्रा कर सकें। पाकिस्तान सरकार का जोर पाकिस्तान में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ाने पर है। लेकिन यह तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक अल्पसंख्यक वर्ग के हितों की सुरक्षा की जिम्मेदारी पाकिस्तान सरकार नहीं लेती है। भारत सरकार ने कई बार वैश्विक मंचों पर इसके संबंध में आवाज भी उठाई है। लेकिन संयुक्त राष्ट्र जैसी जिम्मेदार संस्थाएं हिंदू, सिख अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर मौन रहती हैं। फिर भी भारत द्वारा वैश्विक मंचों पर प्रमुखता से अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन से संबंधित मुद्दों को प्रमुखता से उठाया जाए जिससे संबंधित देशों के शोषणकारी चरित्र से विश्व वाकिफ हो सके।

 

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