कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों विदेश गए हुए हैं। इस वक्त देश में यहां किसान आंदोलन चल रहा है वहीं कांग्रेस पार्टी में नए अध्यक्ष व पुराने नेताओं को लेकर चर्चाएं हैं। भाजपा इसे भुनाने की पूरी कोशिश में और अपने नेताओं को छुट्टी नहीं लेने वाला या देश की सेवा (Service) में लगे रहने वाला बता रही है। यहां राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की विदेश यात्रा या भाजपा नेताओं की कार्यशैली बेमतलब है। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि राहुल गांधी अपनी नानी का स्वास्थ्य जानने गए हैं, कुछ दिन वो वहां रहेंगे। परिजनों की फिक्र दुनिया के हर इंसान को रहती है। फिर राहुल गांधी ने जो करना है वह अपनी पार्टी के माध्यम से कर रहे हैं, उनकी पार्टी के नेता यहां उनकी सरकार है अपने कर्तव्य निभा रहे हैं। भाजपा नेताओं की अगर बात है तो इनके ज्यादा काम करने से भी देश की स्थितियां बिगड़ रही हैं। भाजपा शायद अपने मुंह मियां मिट्ठू बन रही है। मियां मिट्ठू बनने में पूरी भाजपा भी शामिल नहीं है बलिक चंद नेता हैं अन्यथा भाजपा के पुराने नेता परिदृश्य से गायब हैं, बहुत से सांसद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) व गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की जोड़ी की कार्यशैली से नाखुश (Unhappy) हैं। भारत में बहुत से नेता ऐसे भी हुए हैं जो गंभीर बीमारी व अत्यंत बुढ़ापे में भी सत्ता से चिपके रहे जबकि शारीरिक रूप से वो निष्क्रिय थे। ऐसे नेताओं का जीवन युवा राजनेताओं को कोई अच्छा संदेश नहीं देता। राजनीति में सक्रियता निष्क्रियता, नेता का जनता के बीच में होना या नहीं होना, जनता के बीच होकर भी बीच न होना, जनता से दूर होकर भी जनता के बीच होना जैसी परिस्थितियों का सही निर्णय जनता ही करती है। भाजपा ने जब से केन्द्र की सत्ता संभाली है देश का राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक माहौल बद से बदत्तर हुआ है। ऐसे में 24 घंटें सातों दिन काम करने वाले नेता का भला क्या लाभ? जब से देश में तीन कृषि कानून पास हुए हैं प्रधानमंत्री ऐसे जिद्द पकड़े हुए हैं जैसे वो देश के प्रधानमंत्री (Prime Minister) न होकर बाहरी हों। आज भाजपा की दशा ये हो रही है कि लोग पार्टी को चाहते हैं पर उन्हें भाजपा के नेताओं से मोह नहीं रहा। उधर देश कांग्रेस को आज भी नहीं चाह रहा लेकिन उसके नेताओं मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी व राहुल से किसी को शिकायत नहीं है। अच्छा हो राजनीतिकों व मीडिया (Media) की जुबान पर नेताओं (Leaders) द्वारा किए जा रहे जनसंघर्ष या सरकार में बैठे नेताओं के अच्छे-बुरे कार्यों की बात हो न कि किसी नेता की निजी जिंदगी पर वक्त बर्बाद किया जाए, वह भी उस जिंदगी पर जो पूर्णत: परिवारिक दायित्वों के निर्वहन में गुजर रही है। देश में अलग-अलग क्षेत्रों से जनता अलग नेताओं को पसंद कर व चुन रही है जिसका काम सिर्फ देश के मुद्दों व उनके हल का है। जनता को भी चाहिए कि वह सदैव जागरूक व सक्रिय सोच रखे जो नेता इधर-उधर की बातें कर वक्त बर्बाद कर रहे हैं उन्हें अपना नेता हटा किसी दूसरे को मौका दे ताकि सवा सौ करोड़ आबादी का अमूल्य समय व सोच बर्बाद न हो।
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